लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  ने डिफेंस कॉरिडोर के लिए लखनऊ के भटगांव भूमि अधिग्रहण धांधली में तत्कालीन डीएम आईएएस अभिषेक प्रकाश समेत कुल 16 अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुमति दे दी है। इसमें तत्कालीन एडीएम (प्रशासन) अमर पाल सिंह, चार तत्कालीन एसडीएम, चार तहसीलदार के साथ अन्य अधिकारी हैं। तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश को 20 मार्च को निलंबित किया जा चुका है, शेष का निलंबन तय माना जा रहा है।

भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण में मंडलायुक्त के बाद कोर्ट के आदेश पर राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. रजनीश दुबे ने जांच की थी। उन्होंने 83 पेज की रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपी थी। इसमें भूमि अधिग्रहण में सीधे तौर पर धांधली की बात कही गई है। राजस्व परिषद ने इस रिपोर्ट को कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा था। वहां से कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

जांच रिपोर्ट में कहा गया कि क्रय समिति अध्यक्ष के रूप में लखनऊ के तत्कालीन जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश और सदस्य सचिव के रूप में सरोजनीनगर के तहसीलदार ने दायित्वों का पालन नहीं किया, जिससे अनियमित भुगतान हुआ, शासकीय धन का नुकसान हुआ। मुख्यमंत्री की मंजूरी पर राजस्व विभाग ने रिपोर्ट नियुक्ति विभाग, राजस्व परिषद, लखनऊ के डीएम और कमिश्नर को भेज दी है। संबंधित नियुक्ति प्राधिकारियों द्वारा अब आगे की कार्रवाई की जाएगी।

अभिषेक का करीबी बताकर करोड़ों की डील

इन्वेस्ट यूपी के निलम्बित सीईओ की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही है। लखनऊ में बतौर डीएम उनकी तैनाती के दौरान मेरठ के एक करीबी ने कई लोगों से वसूली की। वह सबको उनका करीबी बताकर झांसे में लेता था और काम कराने के बदले लम्बी डील करता था। इसके अलावा दो और लोगों के बारे में भी पुलिस को कई जानकारियां मिली है। इन सभी के बारे में पुलिस ब्योरा जुटा रही है।

मेरठ के इस शख्स ने पुराने लखनऊ के ही एक शख्स के भूमि विवाद और उसकी सम्पत्ति को जब्त करने से बचाने के लिए सौदा तय किया था। करोड़ों रुपये ही यह डील मेरठ के इस व्यक्ति ने की। दावा यहां तक है कि उसकी करतूत का वीडियो भी है। इस वीडियो की जानकारी होने पर उसने कुछ रकम पीड़ित को वापस कर दी थी पर बाकी रकम हजम कर गया था। इतना ही नहीं उसने कई और लोगों को ठगा। वह अभिषेक प्रकाश के अधीन रहे अफसरों से अक्सर मिलता रहता था। इस व्यक्ति को सब …हुसैन नाम से जानते थे। उसका असली नाम कुछ और बताया गया है।

मेरठ में भी पुलिस अधिकारियों के सम्पर्क में रहा

अभिषेक प्रकाश का करीबी बता कर वह मेरठ के भी पुलिस और प्रशासन के अफसरों से मिलता रहता था। बताया जाता है कि उसके लिए अभिषेक ने मेरठ के पुलिस अफसरों को फोन भी किया था। बताया जाता है कि निकांत जैन से भी उसके तार जुड़े रहे हैं।

चार एसडीएम और चार तहसीलदार भी फंसे

रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन एसडीएम शंभू शरण, आनंद कुमार, देवेंद्र कुमार, संतोष कुमार, तहसीलदार मनीष त्रिपाठी, विजय कुमार, ज्ञानेंद्र सिंह, उमेश कुमार और नायब तहसीलदार कविता ठाकुर, राजस्व निरीक्षक राधेश्याम, जितेंद्र कुमार सिंह, नैंसी शुक्ला, लेखपाल हरिश्चंद्र और ज्ञान प्रकाश अवस्थी को दोषी ठहराया गया है। सीएम की मंजूरी पर राजस्व विभाग ने रिपोर्ट नियुक्ति विभाग, राजस्व परिषद, लखनऊ डीएम, कमिश्नर को भेज दी है। संबंधित नियुक्ति प्राधिकारियों द्वारा आगे कार्रवाई की जाएगी।