आजमगढ़। जनपद में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। पिछले एक माह में सेटेलाइट मॉनिटरिंग के माध्यम से पराली जलाने की कुल 27 घटनाएं पकड़ी गईं। जानकारी मिलते ही राजस्व और कृषि विभाग की संयुक्त टीमों को मौके पर भेजा गया। जांच में तीन स्थानों पर घास-फूस जलते हुए मिले, जबकि 25 स्थानों पर पराली जलती पाई गई।

इन 25 मामलों में संबंधित तहसीलों के एसडीएम ने कार्रवाई करते हुए 52,500 रुपये का जुर्माना लगाया। वहीं, राजस्व विभाग की टीम ने अब तक 17,500 रुपये की वसूली कर ली है। अधिकारियों का कहना है कि बाज़ारों और गांवों में लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, इसके बावजूद कुछ किसान पराली जलाने की आदत नहीं छोड़ रहे हैं। पिछले 15 दिनों से प्रतिदिन किसी न किसी क्षेत्र में पराली जलने की सूचना मिल रही है।

पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए कृषि विभाग, राजस्व विभाग और जिला प्रशासन की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं। सेटेलाइट से प्राप्त लोकेशन के आधार पर टीमें तुरंत मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन कर रही हैं। सत्यापन में गड़बड़ी मिलने पर किसान के खिलाफ कार्रवाई अनिवार्य रूप से की जा रही है।

एक माह के भीतर सगड़ी, बूढ़नपुर, फूलपुर समेत अन्य तहसीलों में पराली जलाने की घटनाएं अधिक मिलीं। इन सभी घटनाओं की रिपोर्ट एडीएम (वित्त एवं राजस्व) की अध्यक्षता में गठित अनुश्रवण सेल को भेजी जा रही है। इस सेल में एसपी, जिला विकास अधिकारी, उप कृषि निदेशक, डीएओ, डीआईओएस, डीपीआरओ, गन्ना अधिकारी और क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी शामिल हैं। सेल की अभिलेखीय कार्यवाही की ज़िम्मेदारी उप कृषि निदेशक को दी गई है।

कृषि विभाग के अनुसार, खेत में पराली जलाने पर पांच से 30 हजार रुपये तक का जुर्माना निर्धारित है, जो खेत के क्षेत्रफल के आधार पर लगता है। दो एकड़ से कम पर 5000, दो से पाँच एकड़ पर 10,000, और पाँच एकड़ से अधिक पर 30,000 रुपये प्रति घटना जुर्माना लगाया जा सकता है।

उप कृषि निदेशक अशीष कुमार ने बताया किजनपद में पराली जलाने की 27 घटनाएं सेटेलाइट के जरिए पकड़ी गईं। इनमें से 25 घटनाओं में पराली जलती पाई गई और सभी में कार्रवाई की गई है। किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। अभी तक 25 किसानों पर 52,500 रुपये जुर्माना लगाया गया है।