आजमगढ़। कोडीनयुक्त कफ सिरप की जांच में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। पहले नरवे गांव निवासी विकास सिंह का नाम सामने आया था, अब जेठारी गांव के बिपेंद्र सिंह की संलिप्तता उजागर हुई है। एक साल से बंद पड़ी मेडिकल दुकान के नाम पर लाखों बोतलों का कारोबार होने से औषधि विभाग की निगरानी पर भी सवाल उठने लगे हैं। वही आरोपी बिपेन्द्र सिंह थाने का हिस्ट्रीशीटर है, जिसके खिलाफ पहले से ही दर्जनों मुकदमे दर्ज है। बावजूद इसके उसके काले कारनामों की भनक पुलिस को भी नहीं लग सकी।

ड्रग इंस्पेक्टर डॉ. सीमा वर्मा द्वारा दी गई तहरीर पर बुधवार को थाना दीदारगंज में जेठारी गांव निवासी बिपेंद्र सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।

बिपेन्द्र और विकास है घनिष्ठ मित्र

बिपेंद्र सिंह नरवे गांव निवासी विकास सिंह का घनिष्ठ मित्र बताया जाता है और दीदारगंज थाने का हिस्ट्रीशीटर है, जिसके ऊपर गैंगस्टर एक्ट, आर्म्स एक्ट, मारपीट और हत्या के प्रयास समेत कुल 11 मुकदमे दर्ज हैं। उसके ऊपर प्रयागराज और जौनपुर में भी एक-एक केस दर्ज है।

तहरीर में बताया गया कि बिपेंद्र सिंह ने मार्टीनगंज के बनगांव में एएस फार्मा नाम से मेडिकल स्टोर खोला था। आरोप है कि उसने आजमगढ़ की दो, बस्ती की तीन और जौनपुर की एक फर्म से कोडीनयुक्त कफ सिरप की कुल 3 लाख 28 हजार बोतलें खरीदीं। 28 नवंबर को जब ड्रग इंस्पेक्टर टीम ने दुकान का निरीक्षण किया तो वह बंद मिली। मकान मालिक ने बताया कि वह लगभग एक वर्ष पहले ही दुकान छोड़ चुका है।

जांच के दौरान बिपेंद्र से खरीद–बिक्री का विवरण मांगा गया, लेकिन उसने न फोन रिसीव किया, न ई-मेल और न ही व्हाट्सएप का जवाब दिया। जीएसटी अकाउंट भी उपलब्ध नहीं कराया गया। इन परिस्थितियों में कफ सिरप के दुरुपयोग की संभावना मजबूत दिखी, जिसके बाद औषधि विभाग ने एफआईआर दर्ज कराई।

एक साल से बंद दुकान, फिर भी लाखों बोतलों का खेल


बंनगांव स्थित एएस फार्मा का शटर पिछले एक साल से बंद है, लेकिन उसी दुकान के नाम पर लाखों बोतलों की खरीद-बिक्री ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। औषधि विभाग की मॉनिटरिंग और निरीक्षण पर भी गंभीर उंगलियां उठ रही हैं।

पैसे को लेकर विकास–बिपेंद्र में विवाद


स्थानीय लोगों में चर्चा है कि करीब चार महीने पहले विकास सिंह ने बिपेंद्र सिंह के खाते में 40 लाख रुपये भेजे थे। बिपेंद्र द्वारा पैसे लौटाने में आनाकानी के बाद विवाद बढ़ा और मामला थाने तक पहुंचा, हालांकि उस समय FIR दर्ज नहीं हुई। इसके बाद दोनों के रिश्तों में दरार आ गई।

ड्रग इंस्पेक्टर डॉ. सीमा वर्माने बताया कि बिपेंद्र सिंह से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई। मेडिकल स्टोर बंद मिला, मोबाइल उठा नहीं, ई-मेल और व्हाट्सएप पर मैसेज करने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला। अगर उसके द्वारा खरीद फरोख्त की जानकारी दी गई होती तो यह मुकदमा दर्ज नहीं कराना पड़ता।


एसएसपी डॉ अनिल कुमार ने बताया कि आरोपी बिपेंद्र सिंह पहले से ही थाने का हिस्ट्रीशीटर है। इसके ऊपर कुल 11 मुकदमे दर्ज हैं। प्राथमिकी दर्ज होने पर इसके बैंक खातों और इसके द्वारा सिरप की बिक्री कहां-कहां की गई है, इसकी जानकारी की जा रही है। जो तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।