लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक बने शिक्षामित्रों को भी पुरानी पेंशन का लाभ मिल सकता है। एक अप्रैल 2005 से पूर्व विज्ञापित और उसके बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का विकल्प देने के प्रदेश सरकार के फैसले के बाद रमेश चन्द्र और 166 अन्य की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने प्रत्यावेदन पर तीन महीने में निर्णय लेने का आदेश दिया है। 28 मार्च 2005 के पहले नियुक्त शिक्षामित्रों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
शिक्षामित्रों का तर्क है कि उनका चयन भी एक अप्रैल 2005 से पहले निकले विज्ञापन के आधार पर हुआ था। उसके बाद टीईटी और बाद में सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा पास करने के बाद सहायक अध्यापक के पद पर नियमित नियुक्ति हुई। लिहाजा पूर्व में की गई उनकी सेवाओं को जोड़ते हुए उन्हें भी पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए। इस मामले की सुनवाई के दौरान 19 नवंबर को हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी को निर्देशित किया है कि शिक्षामित्र के रूप में की गई सेवा को जोड़ने के संबंध में प्रत्यावेदन का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर तीन महीने में किया जाए।
शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बने ललित मोहन सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने विभिन्न आदेशों में स्पष्ट किया है कि 28 मार्च 2005 से पहले से संविदा पर कार्यरत ऐसे कर्मचारी जो बाद में स्थायी पद पर चयनित हो गए हैं, उन्हें संविदा को सेवा को जोड़ते हुए पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए। इसी क्रम में विभिन्न भर्तियों में शिक्षामित्र से शिक्षक के पद चयनित हम लोगों की मांग है कि प्रदेश सरकार हमें पुरानी पेंशन का लाभ दें।