रिपोर्ट:-एसपी त्रिपाठी/अरुण यादव
आज़मगढ़। सनातन धर्म के इस महापर्व में अस्त और उदय होते सूर्य की पूजा पूरे विधान से की जाती है। व्रतियों ने कल (गुरुवार) अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया था और आज (शुक्रवार) को उगते सूरज की उपासना की।
‘उग हे सूरज देव, भइल भिनसरवा… अरघ के रे गेरवा, पूजन के रे बेरवा हो’.. छठ घाटों पर शुक्रवार भोर से ही हर किसी की जुबां पर यही गीत सुनाई दिया। तड़के तमसा नदी के किनारे विभिन्न घाटों, तालाबों और घरों की छतों पर भी व्रतियों ने उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की।
सुबह विभिन्न नदियों और तालाबों में अर्घ्य देने के लिए लोग घरों से निकले। घाटों की विशेष साज-सज्जा की गई थी। छठ मइया के गीतों से घाट गुंजायमान रहे।
शहर के दलालघाट, गौरीशंकर घाट, आत्माघाट धर्मूनाला, कदमघाट, भोला घाट, गायत्री पीठ घाट राजघाट, कोलघाट मोहटी घाट, धोबी घाट, सिधारी घाट पुराना पुल घाट, हड़हवा बाबा घाट, पंचपेड़वा घाट, सिधारी नया पुल घाट, नरौली पुल घाट, मिशन अस्पताल घाट, शाही पुल घाट, कठवापुल, चिल्ड्रेन स्कूल के बगल में पोखरी घाट व बौरहवा बाबा पोखरा घाट एवं उकरौड़ा बरुआ बाबा हाफिजपुर में बड़ी संख्या में छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया।
इसे लेकर गजब का श्रद्धा व उत्साह दिख रहा था। छठ व्रतियों के साथ उनके परिवार के लोग भी काफी संख्या में नदी किनारे पहुंचे थे। छठ पूजा के एक-एक पल को अपने मोबाइल पर उतारने को होड़ लगी थी। सेल्फी लेने में भी युवा आगे रहे। जैसे-जैसे सुबह हो रही थी, वैसे-वैसे लोगों का उत्साह चरम पर था।
रातभर छठ घाटों पर उत्सव जैसा नजारा रहा। सूरज देवता
के उदय होने का इंतजार सभी को रहा। दउरा में फलों और पकवानों से भरे सूप और उन पर जलते दीपक रातभर जगमगाते रहे। जैसे ही सूर्य की लालिमा नजर आई व्रती नदी के पवित्र जल में अर्घ्य देने के लिए उतर गईं। सूरज के उदीयमान होते ही अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हो गया जो देर तक चला।
अर्घ्य देने के बाद लोगों ने पूजन-अर्चन किया । वही खुशी में महिलाओं ने गाजे-बाजे पर जमकर झूमी और फिर अपने घरों को लौटी । इसके बाद महिलाओं ने घर पहुंचकर व्रत का पारण किया।