
आजमगढ़। पूरे नगर में गुरबाणी की मधुर धुन गूंजती रही, वहीं मेले में चाट-फुल्की, मिट्टी के बर्तनों और खिलौनों की दुकानों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। लोग जमकर खरीदारी और मेले का लुत्फ उठाते नजर आए। सुरक्षा के लिए जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया था।
आगरा से आए मुख्य ग्रंथि बाबा प्रीतम सिंह, जत्थेदार बाबा राजेंद्र सिंह और जत्थेदार बाबा सतनाम सिंह के नेतृत्व में रंजीत अखाड़ा के कलाकारों ने शस्त्र कला का शानदार प्रदर्शन किया। गुरुद्वारा परिसर से शुरू हुआ यह प्रदर्शन नगर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचा।
वाहेगुरु का खालसा, वाहेगुरु की फतेह के जयकारों के बीच सिख युवाओं ने सिर पर नारियल तोड़ना, चकरी घूराना, तलवारबाजी, आंखों पर पट्टी बांधकर केले काटना और नारियल तोड़ना जैसे हैरतअंगेज कारनामे दिखाए। दर्शकों ने तालियों से इनका उत्साहवर्धन किया।
इसके बाद दीवान हॉल में शबद कीर्तन का आयोजन हुआ, जहां देशभर से आए सिख परिवारों ने गुरुद्वारे में रखे चरण पादुका के दर्शन किए और गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष प्रार्थना की। कीर्तन के बीच आयोजकों ने नगर और आसपास के सम्मानित लोगों को स्मृति चिह्न भेंट किया।
तमसा नदी के किनारे हनुमानगढ़ी घाट पर भी शस्त्र कला का प्रदर्शन हुआ, जहां हजारों लोग डीजे की धुन पर गुरबाणी और जयकारों का आनंद लेते दिखे। गुरुद्वारे को झालरों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया था, जो रात में जगमगा उठा।
इस अवसर पर भाई करनैल सिंह (देहरादून), भाई रकम सिंह (लखनऊ), वीर परमजीत सिंह (वाराणसी), ज्ञानी बलजिंदर सिंह (दिल्ली), ज्ञानी केवल सिंह (आगरा) सहित देशभर से आए रागी जत्थों और सेवकों ने हिस्सा लिया। मेले में सिख परिवार दुख भंजन कुएं के पानी से स्नान कर पुण्य अर्जित करते भी दिखे। रविवार को समापन पर अटूट लंगर का आयोजन होगा।