
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर आजम खान की चर्चा शुरू हो गई है। इस बार चर्चा ये है कि आजम खान पर यूपी सरकार मेहरबान हो रही है और सीतापुर जेल में बंद आजम खान यूपी की सियासत के नये मोहरे सेट करने में जुटे हुए हैं।
जल्द आजम खान बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक लंबे समय से परेशान आजम खान और उनके परिवार की मुश्किलें अब जल्द खत्म हो जाएंगी। सूत्र बताते हैं कि आजम खान और यूपी सरकार के बीच अब रिश्ते बेहतर हो रहे हैं यही वजह है की पिछले दो तीन महीनो से आजम खान और उनके परिवार को मुकदमो में राहत मिल रही है।
सूत्रों के मुताबिक इसकी शुरुआत दिसंबर 2024 में हुई जब 10 दिसंबर 2024 को आजम खान ने जेल से अपने सन्देश वाली चिट्ठी रामपुर के सपा जिला अध्यक्ष अजय सागर से जारी करा दी और उसमे इंडिया गठबंधन के बहाने सपा और अखिलेश यादव से अपनी नाराजगी जाहिर कर दी थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके बाद यूपी सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए 30 दिसंबर 2024 को मुकदमा संख्या 126/2020 सरकार बनाम अफ्फाक अहमद आदि की जांच के चरण में आजम खान को बचाने के आरोप में तत्कालीन एसपी और विवेचक के खिलाफ 10-09-2024 को एक सीनियर आईएएस और दो सीनियर आईपीएस अधिकारियों की शासन से जो जांच सिमिति गठित की थी उसे बिना जांच के ही तत्काल प्रभाव से निक्षेपित (निरस्त ) कर दिया।
यह मामला आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी के शत्रु संपत्ति से जुड़ा है। इसमें आजम खान पर आरोप था की उन्होंने मंत्री रहते हुए शत्रु संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कराया और षड्यंत्रपूर्ण अपने ओ एस डी अफ्फाक अहमद को उसका मालिक बना दिया।
मुकदमे की जांच के दौरान विवेचक गजेन्द्र कुमार त्यागी द्वारा की गई जांच में आजम खान का नाम प्रकाश में आया तो विवेचक को एसपी ने बदल दिया था और दूसरे विवेचक श्रीकांत द्विवेदी ने आजम खान का नाम जांच में हटा दिया प्रकरण को गंभीर मानते हुए यूपी सरकार ने शासन स्तर से जांच सिमिति गठित की थी लेकिन बिना जांच के उसे वापस ले लिया गया ।
सूत्रों का ये है दावा!
सूत्रों का कहना है कि आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी में जो सरकारी ज़मीन सरकार में निहिति हुई थी उस मामले में भी यूपी सरकार अब लंबे समय से खामोश है और कोई एक्शन नहीं लिया गया है। इतना ही नहीं आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम के दो पैन कार्ड , दो पासपोर्ट और दो जन्म प्रमाण पत्र के मुकदमों में भी सरकार की तरफ से पैरोकारी सुस्त हो गयी है।
हाल ही में आजम खान के परिवार को निचली अदालत से जमानत भी मिल गयी है। आजम खान की पत्नी डॉ. तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्लाह आजम जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं। जल्द आजम खान भी जमानत पर बाहर आ सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक यूपी के दो सीनियर अफसर और BJP के दो बड़े नेताओं ने यह पूरी डील कराई है अगर सब कुछ सही हुआ तो इस से अखिलेश यादव की नींद उड़ सकती है।
अब समझिए पर्दे के पीछे की कहानी
कहते हैं राजनीति में रिश्ते बदलते रहते हैं जो आज आपका दोस्त है वह कल आप दुश्मन बन सकता है और जो आज आपका दुश्मन है समय आने पर कल वह आपका दोस्त भी बन सकता है। ऐसा ही कुछ हुआ आजम खान के साथ।
मीडिया रिपोर्ट की माने तो यूपी में BJP सरकार आने के बाद साल 2019 लोक सभा चुनाव के दौरान रामपुर के तत्कालीन डीएम आञ्जनेय कुमार सिंह (वर्तंमान में मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर) से उनकी नाराज़गी क्या हुई आजम खान BJP सरकार के निशाने पर आ गये और फिर सैकड़ों मुकदमे आजम खान और उनके परिवार वालों और करीबियों के खिलाफ दर्ज करा दिए गये। आजम खान और उनके परिवार को जेल जाना पड़ गया और मुसीबतों का पहाड़ टूट गया।
सैफई की सहमति से जेल गए आजम?
आरोप ये लगे की मुसीबत के समय समाजवादी पार्टी ने आजम खान और उनके परिवार को अकेला छोड़ दिया। कुछ ने तो ये तक कहा की आजम खान और उनके परिवार को जेल भिजवाने में सैफई परिवार की सहमति थी। सपा में आजम खान के रिश्ते बनाते बिगड़ते रहे हैं. पिछली बार भी जब आजम खान जेल से बाहर आने वाले थे।
इसी दौरान उनके करीबियों ने दावा किया था कि आजम खान पार्टी से अलग हो जायेंगे लेकिन अखिलेश यादव ने उनके करीबी दो करीबी लोगो को विधान परिषद और उनके केस लड़ रहे वकील कपिल सिब्बल को राज्य सभा भेज कर आजम खान को मना लिया था। लेकिन सूत्रों का दावा है कि इस बार आजम खान सपा को अलविदा कह देंगे और अपना एक नया राजनितिक दल बना लेंगे।
क्या है बीजेपी की ऱणनीति?
BJP को लगता है की अगर आजम खान और चन्द्रशेखर जैसे नेता यूपी में अखिलेश यादव के विरोध में चुनाव लड़ेंगे तो इससे साल 2027 में BJP फिर सत्ता में आसानी से आ जाएगी और इसके बदले आजम खान को राहत देने में कोई घाटे का सौदा नहीं है क्योंकि अगर आजम खान अखिलेश यादव की सपा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे तो फिर सपा को भारी नुकसान होगा जिसका सीधा फायदा BJP को मिलेगा।
हालांकि आजम खान को समझ पाना आसान नहीं है. वह राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। भले ही उनके करीबी लोग और सरकार में बैठे नेता और अधिकारी इस डील से ख़ुश हो रहे हों लेकिन आजम खान कब क्या फैसला लेंगे यह तो सिर्फ आजम खान ही जानते हैं क्योंकि लोग कहते की आजम खान जो कहते हैं वो करते नहीं और जो करते हैं वो कहते नहीं हैं.। फिलहाल यूपी की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में आजम खान की चर्चा गर्म है।