आजमगढ़। पूर्वांचल में एक छोर वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं तो दूसरा छोर गोरखपुर बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभाल रखा है। इस इलाके की कई सीटों पर रोचक लड़ाई की तस्वीर उभर रही है। यूपी में मिशन-80 का नारा देने वाली भाजपा के सामने कई जगह खासी चुनौतियां हैं। मसलन, उपचुनाव में कब्जाए आजमगढ़ के किले पर काबिज रहने की चुनौती है। 2014 में जीते गाजीपुर-घोसी और लालगंज फिर पाने का संघर्ष है। मछलीशहर और बलिया की जीत का पिछला अंतर भी बड़ा नहीं था। बसपा का अलग लड़ना ही भाजपा के लिए राहत है।
लालगंज में त्रिकोणीय मुकाबला
लालगंज लोकसभा सीट 2019 में यहां से बसपा की संगीता आजाद 161597 वोटों से जीती थीं। वो अब भाजपा में हैं। 2014 में लालगंज से भाजपा की नीलम सोनकर 63086 वोट से जीती थीं। फिर भाजपा ने नीलम पर ही दांव लगाया है। सपा-कांग्रेस के दरोगा सरोज और बसपा की डा. इंदू चौधरी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। 2022 में इस लोकसभा में शामिल पांचों विधानसभा सीटें अतरौलिया, निजामाबाद, फूलपुर पवई, दीदारगंज और लालगंज (सु.) सपा ने जीती थीं।
घोसी में मुख्तार फैक्टर पर भी नजर
घोसी सीट पर 2019 में बसपा के अतुल कुमार सिंह 122568 वोट से जीते थे। सर्वाधिक दलित हैं जबकि 2014 में यहां भाजपा के हरिनारायण राजभर 146015 वोटों से जीते थे। इस लोकसभा की मधुबन विधानसभा सीट भाजपा के पास है। घोसी, मोहम्मदाबाद गोहना विधानसभा सीटें सपा और रसड़ा बसपा ने जीती थी जबकि मऊ में सुभासपा के टिकट पर मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी विधायक बने। मुख्तार फैक्टर यहां कितना प्रभावी होगा, देखना दिलचस्प होगा। घोसी सीट इस बार एनडीए कोटे से सुभासपा के पास है। सुभासपा के अरविंद राजभर, सपा-कांग्रेस गठबंधन के राजीव राय और बसपा के बालकृष्ण चौहान के बीच रोचक त्रिकोणीय मुकाबला है।
आजमगढ़-बलिया में साधने होंगे सामाजिक समीकरण
आज़मगढ़ में सेंधमारी रोकने की चुनौती
आजमगढ़ सीट उपचुनाव में भाजपा ने सपा से छीनी थी। भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ को 312768 और सपा के धर्मेंद्र यादव को 304089 वोट मिले थे। भाजपा के सामने यहां सपा के माय समीकरण के अलावा अन्य वोटों में सेंधमारी रोकने की चुनौती है। इस लोकसभा की पांचों विधानसभा सीटें सपा के पास हैं। इनमें गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ और मेहनगर शामिल सीटें शामिल हैं। बलिया सीट पर भाजपा ने वीरेंद्र सिंह मस्त की जगह नीरज शेखर को उतारा है। सपा ने फिर सनातन पांडेय पर दांव लगाया है, जो 2019 में महज 15519 वोटों से हारे थे। यहां ब्राह्मण-भूमिहार वोटों में सेंधमारी रोकने की चुनौती है।
इस लोकसभा की फेफना, बैरिया और मोहम्मदाबाद विधानसभा सीटें सपा जीती थी। बलिया शहर भाजपा और जहूराबाद से सुभासपा के ओपी राजभर विधायक हैं। मछलीशहर सीट पर पिछले चुनाव में महज 181 वोटों से भाजपा के बीपी सरोज जीते थे। यहां सपाई दिग्गज तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज और बसपा के कृपा शंकर सरोज से फिर बीपी सरोज का मुकाबला है।