आजमगढ़। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आजमगढ़ सत्यवीर सिंह के आदेश के एक माह बाद अहरौला पुलिस ने तत्कालीन थाना अध्यक्ष पवई संजय कुमार सहित 15 पुलिस कर्मियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में 27 अक्टूबर को मुकदमा दर्ज कर लिया है। यह मामला 7 मार्च 2020 का है। जिसमें गीता देवी के पक्ष में 26 सितंबर 2024 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आजमगढ़ सत्यवीर सिंह ने अहरौला थाना में आरोपी पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था।
अहरौला थाना क्षेत्र के खानपुरचंदू गांव निवासिनी गीता देवी पत्नी इंद्रजीत कोर्ट में दाखिल वाद के अनुसार घटना सात मार्च 2020 की है। जिसमें गीता देवी ने बताया कि उनके पति इंद्रजीत फुलवरिया बाजार में स्थित वियर की दुकान पर सेल्समैन का काम देखते थे उनके साथ संचित यादव भी सेल्समैन थे। पवई पुलिस ने पति इंद्रजीत से अवैध रूप से धन कि मांग की जिसे देने से मना कर दिया। उसी से खार खाई पवई पुलिस सात मार्च 2020 की रात तत्कालीन पवई थानाध्यक्ष संजय कुमार, उपनिरीक्षक सुनील कुमार सरोज, चंद्रजीत यादव, उपेंद्र यादव, सुरेंद्र यादव तथा अन्य 10 की संख्या में पुलिस के लोग घर पर पहुंचे। स्कार्पियो कार की चाभी धमकी देकर मांगने लगे। विरोध करने पर सभी लोग घर के अंदर घुस गये आलमारी तोड़कर उसमें रखा एक लाख बीस हजार रुपए व आभूषण के साथ अन्य सामान लूट लिए। परिजनों को मारा-पीटा व गालियां दी गयी। गाड़ी की चाभी जबरिया ले ली और गाड़ी में पति इंद्रजीत यादव व संचित यादव को बैठा कर पुलिस खुद स्कार्पियो चलाकर ले गई। पवई थाने के शफीक के भठ्ठे के निकट नाटी गांव के पास चेकिंग दिखाकर इंद्रजीत यादव व संचित यादव को गंभीर धाराओं में जेल भेज दिया गया। उनके पुत्र विमल यादव को चालक बताकर मौके से भागने की बात कही। उच्चाधिकारियों से शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। उसी समय कोविड को लेकर लाॅकडाउन लगने से सभी गतिविधियों पर रोक लग गयी। 4 जून 2020 को इंद्रजीत व संचित यादव को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। स्कार्पियो को अवमुक्त करने के लिए कोर्ट ने 26 जून 2020 को रिपोर्ट मांगी। गाड़ी को अवमुक्त करने को 29 जून 2020 को आदेश की कापी पवई थाने पर भेजी गई। तत्कालीन पवई थानाध्यक्ष संजय कुमार ने गाड़ी छोड़ने से मना कर दिया। 29 जून, 23 जून, व 15 सितंबर 2020 को जनपद के उच्चाधिकारियों सहित प्रदेश के डीजीपी व प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर भेजा गया।
जिलाधिकारी आजमगढ़ को गांव के लगभग 10 लोगों के द्वारा शपथ पत्र व प्रमाण पत्र देते हुए घटना को झूठा बताया गया व इस पर भी कार्रवाई न होने पर अक्टूबर 2020 में मामले को 156(3) के तहत कोर्ट में दाखिल किया गया।जिसमें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आजमगढ़ सत्यवीर सिंह की कोर्ट ने 26 सितंबर 2024 को तत्कालीन थाना अध्यक्ष संजय कुमार सहित 15 पुलिस कर्मियों के ऊपर अहरौला थाना में आदेश से एक सप्ताह के अंदर मुकदमा दर्ज कर न्यायालय को अवगत कराने का आदेश जारी किया था। इस आदेश के बाद भी जब मुकदमा दर्ज नहीं किया गया तो गीता देवी कोर्ट की अवमानना में कोर्ट चली गईं। इस पर अहरौला थाने की पुलिस ने अब जाकर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष समेत 15 पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।