लखनऊ। लोकसभा के तीसरे चरण का मतदान मंगलवार को होगा। प्रदेश की दस सीटों पर होने वाले इस मुकाबले का व्यूह रचा जा चुका है। इन दस सीटों में से पिछली बार आठ पर भगवा परचम फहराया था। मात्र दो पर ही साइकिल सरपट चली थी। बसपा का तो खाता भी नहीं खुला था। इस बार भाजपा के सामने जहां अपने पुराने प्रदर्शन को बरकरार रखने की चुनौती होगी, तो वहीं विपक्ष को अपना ग्राफ बढ़ाने का मंत्र ढूंढना होगा।
संभल : उलझे हैं समीकरण
संभल के समीकरण उलझे हुए हंै। सपा ने जियाउर्रहमान बर्क को टिकट दिया है। भाजपा ने भी अपने पुराने दिग्गज परमेश्वर लाल सैनी को मैदान में उतारा है। पूर्व विधायक सौलत अली हाथी पर सवार होकर चुनावी रण में उतरे हैं। ऐसे में यहां मुकाबला कड़ा हो गया है। यहां बसपा के सौलत सपा के वोटों में सेंध लगा रहे हैं। यहां सैनी, तुर्क और शेखजादा बिरादरी में इस बार तगड़ी चुनावी मशक्कत है।
बरेली : ध्रुवीकरण ही आसान बनाएगी यहां जीत की राह
रुहेलखंड की सबसे अहम सीट बरेली में बसपा प्रत्याशी के मैदान से बाहर होने के बाद लड़ाई सीधी जंग में तब्दील है। भाजपा ने आठ बार के सांसद संतोष गंगवार का टिकट काटकर कुर्मी बिरादरी के ही छत्रपाल गंगवार को मौका दिया है। उधर, सपा के टिकट पर प्रवीण सिंह ऐरन पांचवीं बार भाग्य आजमा रहे हैं। वर्ष 2009 में जीत का सेहरा भी पहना था। आमने-सामने की जंग में ध्रुवीकरण ही जीत की राह आसान बनाएगी। मुस्लिमों का पूरा झुकाव सपा की तरफ है और हिंदू मतों में सेंधमारी जारी है। उधर, भाजपा हिंदू मतदाताओं की एका से जीत की राह तैयार करना चाहती है।
बदायूं : तीसरे कोण से मुकाबला दिलचस्प
भाजपा ने पहली बार अपने संगठन के दिग्गज दुर्विजय सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। उधर, सपा ने शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव को टिकट दिया है। वह पहला बड़ा चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने मुस्लिम खां पर दांव लगाकर चुनाव को रोचक बना दिया है।बसपा का समीकरण दोनों की राह में रोड़े अटका रहा है।
एटा : अबकी दंगल नहीं है आसान
एटा का चुनावी दंगल इस बार कड़ा है। पूर्व सीएम कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह भाजपा से हैट्रिक लगाने की आस में फिर से जोर-आजमाइश कर रहे हैं। सपा ने इस बार यादव के बजाय देवेश शाक्य को मैदान में उतारकर नया समीकरण रच दिया। वहीं बसपा ने इरफान को मैदान में उतारकर सपा के गुणा-भाग को पेचीदा बना दिया है।
आंवला : कड़े मुकाबले के आसार
भाजपा के धर्मेंद्र कश्यप हैट्रिक लगाने के इरादे से फिर से मैदान में हैं। वहीं, नीरज मौर्य को मैदान में उतारकर सपा ने मुकाबला कड़ा कर दिया है। यहां मौर्य वोटरों की भारी संख्या है। वहीं, बसपा के आबिद अली साइकिल की गति को कम करने का काम कर रहे हैंैं।
फतेहपुर सीकरी : हाथी पर सबकी नजर
भाजपा ने दिग्गज राजकुमार चाहर को फिर से मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने रामनाथ सिकरवार पर दांव लगाया है। पार्टी के अलावा सिकरवार अपनी पहचान के दम पर ज्यादा मजबूती के साथ मैदान में हैं। उधर, रामनिवास शर्मा हाथी पर सवार होकर आए हैं। हालांकि शर्मा सक्रिय राजनीति से लंबे समय तक दूर रहे हैं, लेकिन उनका जातीय समीकरण किसी का भी खेल बिगाड़ सकता है।
हाथरस : राहों में फूल कम, कांटे बिछे हैं ज्यादा
भगवा खेमे ने यहां से टिकट बदलकर अनूप प्रधान वाल्मीकि को मैदान में उतारा है। उनकी राह रोकने को सपा ने जसवीर वाल्मीकि को चुनावी रण में उतार दिया। बसपा ने हेमबाबू धनगर को टिकट दिया है। हाथरस एससी वर्ग के लिए आरक्षित सीट है। ऐसे में यहां मुकाबलों का ताना-बाना कुछ इस तरह बुना गया है कि सभी एक-दूसरे की राह काटते नजर आ रहे हैं।
फिरोजाबाद : त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
भाजपा ने पिछली जीत के बावजूद टिकट बदलकर ठाकुर विश्वदीप सिंह को दंगल में उतारा है। सपा ने भी यहां तगड़ा दांव चलते हुए वर्ष 2014 में चुनाव जीते अक्षय यादव को टिकट दिया है। बसपा ने चौधरी बशीर को टिकट देकर जहां सपा को झटका देने की कोशिश के साथ ही अलग राह बनाने की भी कवायद की है।
मैनपुरी : मुलायम की विरासत पर जोर-आजमाइश
मुलायम सिंह यादव की विरासत पर जोर-आजमाइश चल रही है। यहां सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव साइकिल पर सवार होकर चुनावी मैदान में उतरी हैं। उधर, भाजपा ने प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह को चुनावी मैदान में उतार दिया है। वहीं, बसपा ने शिवप्रसाद यादव को मैदान में उतारकर मुकाबला रोचक बना दिया है। वह दलितों के अलावा यादव मतदाताओं में भी सेंध लगा रहे हैं।
आगरा : केंद्रीय मंत्री के कद और प्रतिष्ठा का होगा इम्तिहान
आगरा लोकसभा सीट 2009 से भाजपा के कब्जे में है। 2009 और 2014 में रामशंकर कठेरिया चुने गए, वहीं 2019 में भाजपा से एसपी सिंह बघेल चुने गए। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने जाटव समुदाय के प्रत्याशी उतारे हैं और दोनों ही नए चेहरे हैं। बसपा से पूजा अमरोही प्रत्याशी हैं। वे कांग्रेस की पूर्व राज्यसभा सांसद सत्या बहन की बेटी हैं। सपा ने सुरेश चंद कर्दम को उतारा है। भाजपा ने बघेल को मंत्री बनाकर उनका कद बढ़ाया। उनकी प्रतिष्ठा की असल परीक्षा इस चुनाव में होगी।