लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों के लिए वर्ष 2025-26 में सालाना खर्चे और बिजली दरों के निर्धारण पर कार्यवाही शुरू कर दी है। बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) के प्रस्ताव में आयोग को दर्जनों खामियां मिली हैं। जिस पर आयोग ने विस्तृत रिपोर्ट बिजली कंपनियों से मांगी है। आयोग द्वारा एआरआर पर कार्यवाही शुरू कर दिए जाने से यह तय बताया जा रहा है कि 31 मार्च 2026 तक पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण नहीं किया जा सकता है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक आयोग ने बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल प्रस्ताव में यह पाया है कि संविदा कार्मिकों के खर्चे को नियमित कार्मिकों के खर्चे में डाला गया है। आयोग ने दक्षिणांचल, पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल, केस्को कानपुर तथा नोएडा पावर कंपनी के एआरआर में कई कमियां निकाली हैं। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन तथा अन्य बिजली कंपनियों से इन कमियों पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
हानियां, बिजली खरीद, सब्सिडी आदि पर आयोग ने मांगा जवाब आयोग ने वितरण हानियां, बिजली खरीद, कैपिटल इन्वेस्टमेंट, उपभोक्ता सुरक्षा, नो टैरिफ इनकम, सब्सिडी, कैग रिपोर्ट, एनर्जी बैलेंस, स्मार्ट प्रीपेड मीटर आदि पर बिजली कंपनियों से जवाब मांगे हैं। नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों से वर्ष 2023-24 की कैग द्वारा ऑडिटेड रिपोर्ट भी तलब की है। सब्सिडी के मामले में भी विस्तृत जवाब मांगा गया है। आयोग ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में तिमाही रिपोर्ट तलब की है।
एक फरवरी को बैठक
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने राज्य में बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में अगले सप्ताह मोमबत्ती जुलूस और प्रबंधन के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ करने का फैसला लिया है। आंदोलन तेज करने के लिए एक फरवरी को लखनऊ में श्रम संघों की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है।
कल से निकालेंगे मार्च
वहीं संघर्ष समिति ने यह निर्णय लिया है कि निजीकरण का विरोध करने के लिए 27, 28, 29 और 30 जनवरी को ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, अभियंता प्रतिदिन सभा करके शाम पांच बजे कार्यालय के बाहर मोमबत्ती जुलूस निकालेंगे। इसके बाद 31 जनवरी को कार्यालयों के बाहर बुद्धि-शुद्धि यज्ञ करेंगे।