रिपोर्ट:अरुण यादव

कभी न दिखने वाले फल भी बाज़ार में

आजमगढ़। सूर्य षष्ठी व्रत डाला छठ की पूजा पर भी महंगाई की मार साफ दिख रही है। बांस के बने जिस सूप और दउरा में पूजा के सामान रखे जाते हैं उसकी खरीददारी में पसीना छूट रहा है। गरीब आदमी के लिए तो दाम भारी पड़ ही रहा है लेकिन जिसके घर पर कई सूप पूजा में लगते हैं उसके लिए बड़ी दिक्कत है। एक सूप की कीमत 150 रुपये है तो दउरी 200 और बड़ा दउरा तीन सौ रुपये के आसपास बिक रहा है।


बांस का सामान तैयार करने वाले भी मानते हैं कि महंगाई बढ़ी है लेकिन उसके बाद भी दो वक्त का भोजन ठीक से नसीब नहीं हो पा रहा है। फराशटोला मोहल्ले में बांस का सामान बनाने व बेचने वाले महेश बताते हैं कि पहले एक बांस पचास रुपये तक मिल जाता था लेकिन अब वही बांस सवा सौ से भी ऊपर में मिल रहा है। वह भी मुश्किल से। आधा दिन तो बांस खोजने व उसे लाने में लग जाता है। उसके बाद सामान तैयार किया जाता है। दिन भर में बमुश्किल तीन या चार सूप तैयार हो पाता है। अब तो इतने महंगे दाम पर सूप व दौरा बेचने के बाद भी कोई लाभ नहीं हो पा रहा है लेकिन पुश्तैनी धंधे से भागकर कोई जायेगा कहां। कुल मिलाकर पूजा के सामान पर भी महंगाई की मार साफ दिख रही है।

कभी न दिखने वाले फल भी बाजार में
आजमगढ़। छठ पूजा को देखते हुए कभी न दिखने वाले फल भी बाजार में दिखने लगे हैं। चकोतरा, नारियल, अनानास, केला, सेब, अनार, मुसम्मी, संतरा, नाशपाति, पपीता, चीकू, पनीपाला, सरीफा, मूंगफली, गन्ना, सुपारी, गंजी, आंवला, अमरस, करौना आदि फलों से दुकान पट गये हैं और उसकी खरीददारी भी की जा रही है। इसके अलावा पूजा के लिये कच्ची हल्दी, अंगूर, आम, सिंघाड़ा, बण्डा, सुथनी, साठी का चावल, चूड़ा, कदम व बेर आदि की बिक्री हो रही है।