रिपोर्ट: एसपी त्रिपाठी/ अरुण यादव
आज़मगढ़। झांसी के अस्पताल में हुई दुर्घटना के बाद जिले में संचालित प्राइवेट अस्पतालों की बात छोड़िए सरकारी अस्पतालों में भी आग से बचाव के संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में अगर इन अस्पतालों में आगलगी की घटना किसी वजह से होती है तो काफी जन हानि की प्रबल संभावना है। मंडलीय अस्पताल में प्रतिदिन 1000 के करीब और उनके तीमारदार इलाज के लिए पहुंचते हैं। लगभग 600 की संख्या में मरीज विभिन्न रोगों के लिए इलाज के लिए अलग-अलग वाडों में भर्ती भी रहते हैं। यहीं हाल जिला महिला अस्पताल का भी है।
महिला अस्पताल में बच्चों के लिए एनआईसीयू और मदर केयर यूनिट भी बनाई गई है। जिसमें नवजातों को भर्ती किया जाता है। इन दोनों अस्पतालों में सालों से फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने का कार्य यूपी सीएलडीएफ द्वारा किया जा रहा है। लेकिन, अगर स्थिति देखें तो अभी तक दोनों अस्पतालों में मात्र 50 फीसदी ही कार्य पूरा हो सका है। जबकि दिसंबर 2024 में ही इस कार्य को पूरा करना है।
मंडलीय जिला चिकित्सालय में 3.29 करोड़ की लागत से फायर फाइटिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। इसकी पहली किस्त 1.65 करोड़ रुपये जारी हो चुकी है। इसमें से 1.35 करोड़ रुपये खर्च कर 50 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है। वहीं जिला महिला अस्पताल के लिए 2.23 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत है। जिसके सापेक्ष शासन की ओर से 1.11 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई। कार्यदायी संस्था द्वारा .89 करोड़ रुपये खर्च कर 47 प्रतिशत काम कराया गया है। कार्यदायी संस्था द्वारा दूसरी किस्त की डिमांड की गई है।
जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ विनय सिंह यादव ने बताया कि दोनों अस्पतालों में यूपी सीएलडीएफ द्वारा कार्य कराया जा रहा है। कार्यदायी संस्था के पास काम बहुत है। वह कुछ दिन यहां काम कराती है तो कुछ दिन दूसरी जगह कराती है। हमारी ओर से अस्पताल की सुरक्षा के लिए 68 एबीसी सिलेंडर और लिक्विड सिलेंडर लगाए गए हैं ताकि आग के दौरान बचाव किया जा सके।