रिपोर्ट:-अरुण यादव
आजमगढ़ । जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल द्वारा नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की 128वीं जयंती के अवसर पर हरिऔध कला केन्द्र आजमगढ़ में आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ नेता जी के चित्र प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया।
जिलाधिकारी ने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की 128वीं जयन्ती की शुभकामनायें दी तथा भारी संख्या में उपस्थित छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज के दिन को पूरे भारत वर्ष में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता को बहाल करने में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रयासों का सम्मान करने के लिए सरकार ने 2021 में घोषणा की, कि 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होने कहा कि उनके द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में जो योगदान दिया गया, वो अतुलनीय है और एक तरफ नरम दल विनम्रता से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारत की आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, दूसरी तरफ नेता जी का मानना था कि हमें अपनी बात को बड़ी मजबूती से रखना चाहिए और मजबूती से अपनी बात रखने का एक अलग महत्व होता है। सुभाष चंद्र बोस आई.एन.ए. के सुप्रीम कमांडर बने। भारतीयों तक स्वतंत्रता के महत्व को समझाने और अपने नजरिए को समझाने के लिए नेताजी ने जर्मनी में आज़ाद हिंद रेडियो की स्थापना की। साथ ही उन्होंने कई देशभक्ति के नारे दिए गए थे, जिनमें ‘जय हिंद’, ‘दिल्ली चलो’, और तुम मुझे खून दो, और मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ शामिल हैं, जो आज भी भारतीयों के बीच गूंजते हैं।
जिलाधिकारी ने बताया कि 1943 में नेताजी ने सिंगापुर में आज़ाद हिंद फ़ौज के गठन की घोषणा की। वे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह गए, जिसे जापानियों ने अंग्रेजों से छीन लिया था और वहाँ भारत का झंडा फहराया। नेता जी ने रानी झांसी रेजिमेन्ट की स्थापना की, जिसके माध्यम से महिलाओं को भी आजाद हिन्द फौज में शामिल किया। उस समय जो सबसे प्रतिष्ठित सेवा इण्डियन सिविल सर्विसेज थी, उसको उन्होने उत्तीर्ण किया तथा देश सेवा और देश की आजादी हेतु स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के कारण उन्होने भारतीय सिविल सर्विसेज की नौकरी छोड़ दी। उसके बाद उन्होने लगातार शीर्षस्थ नेताओं के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी और हम सभी के लिए प्रेरणा के श्रोत बने। उन्होने कहा कि हम सभी को एवं समस्त छात्र/छात्राओं को नेता जी के जीवन व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर अपने देशहित में कार्य करना चाहिए और उनके द्वारा दिखाये गये रास्ते पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। नेता जी द्वारा भारतवर्ष के लिए देखे गये विजन को सकारात्मक दिशा देकर भी देश के प्रति कार्य करते हुए उनको याद किया जा सकता है।