लखनऊ/अयोध्या। भव्य महल में विराजे रामलला की पहली दीपावली को लेकर अयोध्या में इस कदर उल्लास है कि दिन और रात एक हो गए हैं। बजाओ ढोल स्वागत में मेरे घर राम आए हैं…जैसे गीत रामनगरी की फिजाओं में गूंज रहे हैं। सजी-धजी, चमक-दमक रही अयोध्या को निहारने की उत्सुकता में देर रात तक श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। उधर राममंदिर में 496 साल बाद भव्य दीपावली की तैयारी पूरी हो चुकी है। बुधवार से राममंदिर में दो दिनों तक उत्सव होगा, एक लाख दीप जलेंगे, अनुष्ठान होंगे।
राम मंदिर की मुक्ति का संघर्ष 1528 से शुरु हुआ था। इस संघर्ष में लाखों बलिदान हुए। 22-23 दिसंबर 1949 की रात विवादित परिसर में रामलला प्रकट हुए तो एक चबूतरे पर उनकी पूजा-अर्चना होने लगी। फिर छह दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस होने के बाद रामलला टेंट में आ गए। 25 मार्च 2020 तक यानि करीब 28 साल तक रामलला टेंट में रहे। जब तक रामलला टेंट में रहे सर्दी, गर्मी, बरसात की मार झेलते रहे। उत्सव, होली, दीपावली जैसे त्योहार केवल परंपरा निर्वहन तक ही सीमित थे।
फिर नौ नवंबर 2019 को रामलला के हक में सुप्रीम कोर्ट से निर्णय आ गया और रामलला के टेंट से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ। 25 मार्च 2020 को सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने हाथों से रामलला को अस्थायी मंदिर में विराजित किया। अस्थायी मंदिर में रामलला करीब 46 महीने तक रहे। 22 जनवरी को वह दिन आ गया जिसका इंतजार सदियों से था। पीएम नरेंद्र मोदी ने रामलला की भव्य महल में प्राण प्रतिष्ठा की। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली दीपावली है इसलिए पूरे शान से मनाने की तैयारी है। परिसर में 30 व 31 अक्तूबर को 50-50 हजार दीप जलेंगे। रामलला को 56 भोग अर्पित किया जाएगा, विशेष अनुष्ठान होगा।
रामलला दीपावली पर विशेष पोशाक में दर्शन देंगे। डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बताया कि प्रभु की दीपावली की पोशाक बेहद खास है। इसमें 11 से 12 मीटर कपड़ा लगा है और इस विशेष पोशाक के लिए साउथ सिल्क को चुना है। दिवाली बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी और बृहस्पतिवार को पीले रंग के वस्त्र रामलला धारण करते हैं। इसलिए भगवान पीतांबर वस्त्र में दर्शन देंगे। इसमें सोने-चांदी के तारों से सिलाई की गई है। पोशाक में कढ़ाई से वैष्णव चिह्न बने होंगे। हम राजा की सेवा कर रहे हैं, इसलिए उनकी सेवा और पहनावा उसी स्तर का होता है।