प्रयागराज। बेसिक शिक्षा की 68,500 पदों की सहायक शिक्षक भर्ती में रिक्त रह गईं 27,000 से अधिक सीटों पर चयन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के आदेश को यथावत रखा है। मामले में हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि रिक्त सीटों पर राज्य सरकार भर्ती करे। मामले में कुछ अभ्यर्थी कटआफ अंक घटा करके रिक्त पदों पर चयन किए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसलिए अब हाई कोर्ट के आदेश के अनुरूप बेसिक शिक्षा विभाग को भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ानी पड़ेगी। वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किए गए शिक्षामित्रों का समायोजन रद कर दिया था।
इससे करीब 1.37 लाख पद रिक्त हो गए थे। उसके बाद प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में दो चरणों में 68,500 तथा 69,000 शिक्षक भर्ती निकाली थी। इसकी परीक्षा कराई गई। इसमें अनारक्षित श्रेणी में कटआफ अंक 45 प्रतिशत तथा ओबीसी और अन्य का कटआफ अंक 40 प्रतिशत निर्धारित करते हुए परिणाम घोषित किया।
योग्य अभ्यर्थी न मिलने पर इसमें 27,000 से ज्यादा पद रिक्त रह गए थे। इधर, कुछ अभ्यर्थियों ने भर्ती परीक्षा में कापी बदले जाने का आरोप लगाने के साथ कटआफ अंक कम कर रिक्त पदों पर भर्ती की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका लगाई। हाई कोर्ट ने मामले में सीबीआइ जांच के आदेश दिए।
इसके बाद सरकार डबल बेंच में गई। दो न्यायाधीशों की पीठ ने आदेश दिया कि सरकार रिक्त पदों पर भर्ती करे। इधर, सरकार की ओर से कटआफ अंक न घटाए जाने पर कटआफ अंक कम करके नियुक्ति दिए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए अभ्यर्थियों की याचिका वहां से खारिज हो गई।