आज़मगढ़। लोकसभा में शुक्रवार को आजमगढ़ के सांसद एवं समाजवादी पार्टी के लोकसभा मुख्य सचेतक धर्मेंद्र यादव ने देशभर के लाखों संविदा कर्मियों शिक्षामित्र, अनुदेशक, रोजगार सेवक, आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत कर्मी और रसोइयों की समस्याओं को जोरदार तरीके से सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि व्यवस्था इन्हीं के कंधों पर चलती है, लेकिन उनकी जिंदगी असुरक्षा और उपेक्षा में बीत रही है।
सांसद धर्मेंद्र यादव ने लोकसभा में संविदा कर्मियों की दुर्दशा पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में ही 18 लाख से अधिक और देशभर में करोड़ों संविदा कर्मचारी नौकरी की असुरक्षा, अत्यंत कम वेतन और नियमित सुविधाओं के अभाव में सबसे अधिक परेशान और उपेक्षित हैं।
उन्होंने सदन में बताया कि आशा बहुओं को मात्र 2000, रोजगार सेवकों को 8850, शिक्षामित्रों को 10000, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 5000, सहायिकाओं को 2700, अनुदेशकों को 8700, सहायकों को 5000 और रसोइयों को केवल 2000 रुपये मानदेय दिया जा रहा है। इसके अलावा नियुक्तिकर्ता ठेकेदार भी इनका शोषण कर रहे हैं।
सांसद ने यह भी बताया कि हाल ही में चल रहे SIR कार्यक्रम का पूरा काम भी इन्हीं संविदा कर्मियों पर आधारित है, जिसमें मानसिक तनाव और भारी कार्यभार के चलते कई संविदा कर्मियों ने आत्महत्या तक कर ली और कई की मौत हार्ट अटैक से हो गई।
सांसद धर्मेंद्र यादव ने केंद्र सरकार से मांग की कि जब सरकार 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की बात करती है, तब उसे संविदा कर्मियों को स्थाई करना चाहिए और उन्हें स्थाई कर्मचारियों जैसी सभी सुविधाएं बीमा, सेवा लाभ, स्वास्थ्य सुविधाएं उनके परिवार सहित उपलब्ध करानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह केवल नीति का नहीं, बल्कि इन परिवारों की गरिमा और उम्मीद का सवाल है, जो पूर्ण समर्पण के साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के नेतृत्व में वे सड़क से संसद तक इन कर्मियों के साथ खड़े रहेंगे और यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक सभी संविदा कर्मियों को न्याय नहीं मिल जाता
