लखनऊ। पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिलों में भले ही पराली जलाने की घटनाएं अधिक रही हों, लेकिन पूर्वांचल के कुछ जिले भी पीछे नहीं हैं। आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) की सेटेलाइट ने ढाई महीने में पूर्वांचल के 10 जिलों में 390 मामले पकड़े हैं। इसमें सबसे ज्यादा बलिया में पराली जलाने के 87 मामले हैं। जबकि आजमगढ़, जौनपुर, गाजीपुर, मऊ में भी 50 से 80 मामले हैं। वहीं, सबसे कम सोनभद्र में एक और वाराणसी में चार केस हैं। कृषि विभाग ने इन पर जुर्माना लगाया है।
आईसीएआर ने सेटेलाइट तकनीक के जरिये 15 सितंबर से 30 नवंबर तक देशभर के प्रदेशों में पराली जलाने की घटना को कैप्चर किया। इसमें पंजाब, हरियाणा के अलावा पश्चिमी यूपी में ज्यादा मामले सामने आए। वहीं, पूर्वांचल के कुछ जिलों में भी किसान पराली जलाने से बाज नहीं आए।
इसमें सबसे ज्यादा बलिया में 87 मामले सामने आए। वहीं, आजमगढ़ में 61, जौनपुर में 78, गाजीपुर में 53, मऊ में 52, चंदौली में 32 मामले पराली जलाने के रिकॉर्ड किए गए। वहीं, सोनभद्र में एक, वाराणसी में चार और भदोही में 12 मामले दर्ज किए गए।
पांच सालों में आए 1532 मामले
पूर्वांचल के 10 जिलों में बीते पांच साल में पराली जलाने की कुल 1532 घटनाएं हुईं। इसमें भी सबसे ज्यादा बलिया में 449, जौनपुर 269, आजमगढ़ में 241, गाजीपुर में 181, मऊ में 161, चंदौली में 131, मिर्जापुर में 56, भदोही में 26, वाराणसी में 14, सोनभद्र में चार घटनाएं हुईं।
ये है जुर्माने की राशि
पराली जलाने के मामले में शासन ने जुर्माने की राशि दोगुना करते हुए कार्रवाई का प्रावधान किया है। दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों से 2500 रुपये जुर्माना, दो से पांच एकड़ भूमि वालों पर 5000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक भूमि में पराली जलाने वाले किसानों पर 15000 रुपये तक का जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है। यदि कोई किसान पराली जलाने की पुनरावृत्ति करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाती है।