लखनऊ। प्रदेश में इन दिनों उपचुनाव को लेकर पार्टियां मैदान में डटी हुई हैं। अयोध्या में लोकसभा चुनाव में मिली हार के झटके से उबरने के लिए बीजेपी ने अंबेडकरनगर के कटेहरी उपचुनाव को जीतने के लिए पूरा दम लगा रखा है। यहां से भाजपा को बड़ी आस है। सरकार की तरफ से लंबे समय से बार-बार यह संदेश दिया जा रहा है कि अयोध्या के साथ ही अंबेडकरनगर का भी विकास प्राथमिकता पर होगा।

मालूम हो कि अंबेडकरनगर जनपद का सृजन करीब तीन दशक पहले अयोध्या (तत्कालीन फैजाबाद ) जनपद को ही विभक्त कर हुआ था। ऐसे में अयोध्या से खासी नजदीकी अभी भी यहां के लोगों को रहती है। इसे भांपते हुए ही बीजेपी और सरकार की तरफ से लगातार यह कहा जा रहा है कि अयोध्या की तर्ज पर यहां का भी विकास होगा। 

हालांकि यह वायदे तो लोकसभा चुनाव के पहले भी किए गए थे। लेकिन, उसका कोई असर यहां हुआ नहीं। सवा एक लाख से अधिक मतों के अंतर से बीजेपी प्रत्याशी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। अब उपचुनाव में फिर से कटेहरी और पूरे जिले के विकास का मुद्दा उठा है। इस बार यहां ज्यादा विकास कराने की बात स्वयं सीएम योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। वह बार-बार कटेहरी पहुंच रहे हैं। 

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी यह सीट जीतकर अयोध्या की हार के बाद बड़ा संदेश देना चाहती है। वह बताना चाहती है कि अयोध्या और आसपास के जिलों में भगवा राजनीति का दबदबा अभी कायम है। कटेहरी की जीत का एक असर यह भी होगा कि लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल में सामने आई सपा की धमक के असर को कम किया जा सकेगा। इसका फायदा आगे होने वाले मिल्कीपुर विधानसभा के उपचुनाव में उठाया जा सकेगा।