रिपोर्ट: अरुण यादव
आजमगढ़।भारतीय संस्कृति और परंपरा सबसे निराली है। खासतौर से कार्तिक माह को लें, तो हर दिन त्योहार। प्रारंभ तुलसी पूजा और आकाश दीप से होती है तो विदाई भी दीपदान से। कार्तिक पूर्णिमा को कुछ ऐसा ही दिखा। घरों से लेकर देवालयों में तुलसी मइया को हलवा-पूड़ी अर्पित कर विदाई दी गई, तो शाम होने के साथ देव दीपावली मनाई गई। आस्था अपार दिखी तो नदी और सरोवर के घाटों पर दीपों का हार पहनाया गया। किनारे दीपों की रोशनी से नहा उठे। तो बच्चों ने जमकर आतिशबाजी कर त्योहार की खुशियां मनाईं।
शहर में तमसा के गौरीशंकर घाट, कदम घाट पर हजारों दीप जलाए गए। नदी के तीरे दीपों की लौ से ऐसा लग रहा था जैसे आसमान के तारे जमीन पर उतर आए हों। दीप जलते ही सेल्फी लेने की होड़ मच गई। उधर कुछ स्थानों पर तुलसी विवाह और दीपदान कर तुलसी मां को विदाई दी गई। आसपास के मंदिरों में भी दीपदान किया गया, तो घरों में लगाए गए पेड़-पौधों के चबूतरों को भी अच्छी तरह सजाया गया था। घाट पर दीपों की रोशनी से अद्भुत छटा बिखर रही थी।