रिपोर्ट:अरुण यादव

आजमगढ़। करीब 22 वर्ष पूर्व हुए दलित युवक की हत्या के मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद एससी एसटी कोर्ट के जज कमलापति प्रथम ने सोमवार को
तीन आरोपियों को आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को 50-50 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। जबकि एक आरोपी को पर्याप्त सबूत के आरोप में दोषमुक्त कर दिया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार वादी मुकदमा राम दुलार निवासी उसरगांवा थाना बरदह का भतीजा राजेंद्र 22 अक्टूबर 2003 की रात अपनी कोठरी में बेटे के साथ सो रहा था। रात लगभग दस बजे गोली चलने की आवाज सुनकर वादी मुकदमा राम दुलार जब वहां पहुंचा तो देखा कि गांव के राणा प्रताप सिंह, प्रदीप सिंह और मनीष कुमार सिंह ने राजेंद्र को गोली मार कर गांव वालों को जाति सूचक गालियां देते हुए भाग रहे हैं। पुलिस को दिए बयान में रामदुलार ने बताया कि गांव के अदालत राम ने इस घटना की साजिश की थी।इस मामले में पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद सभी आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित किया।
अभियोजन पक्ष की तरफ से अभियोजन अधिकारी अमन प्रसाद, एडीजीसी आलोक त्रिपाठी और इंद्रेश मणि त्रिपाठी ने वादी मुकदमा समेत कुल 11 गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी राणा प्रताप सिंह,प्रदीप सिंह तथा मनीष सिंह को आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को 50-50 हज़ार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। जबकि अदालत राम को कोर्ट ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। अदालत ने जुर्माने की आधी राशि मृतक राजेंद्र के परिवार वालों को देने का आदेश दिया है।