बलिया । जिले में नए भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में संजय मिश्रा की ताजपोशी हो गई है और उन्हें लोगों द्वारा बधाईयां भी मिल रही है। लेकिन शायद कम ही लोगों को पता है कि 1992 के दशक में बजरंग दल के नगर स्वयंसेवक के रूप में उनकी यात्रा शुरू हुई। संजय शुरुआती दौर यानी वर्ष 2005 में पार्टी के जिला कार्यालय में झाड़ू लगाने का काम करते थे। इसके अलावा कार्यालय में आने वाले कार्यकर्ताओं की हर संभव मदद करना उनकी दिनचर्या में शुमार था। 

2005 में ये थी दिनचर्या
भाजपा के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा बताते हैं कि वर्ष 2005 में पार्टी से जुड़ने के बाद उनकी दिनचर्या थी कि सुबह उठकर सबसे पहले कार्यालय का ताला खोलकर झाड़ू लगाना और उसके बाद कुर्सियां ठीक करना। बताते हैं कि इसके लिए उन्हें कई बार बहुत जलील भी होना पड़ा और उनका मजाक भी उड़ाया गया। कभी- कभी तो परिस्थितियां प्रतिकूल होने पर परिजनों से फटकार भी झेलनी पड़ी। 

परिवार की जरूरतों को छोड़ पार्टी के कार्यों पर रहा फोकस

बताते हैं कि अपने परिवार की जरूरतों को छोड़कर पहले पार्टी के कार्यों को पूरा करने के चक्कर में उन्हें पिता से मार भी खानी पड़ती थी, लेकिन एक स्वयंसेवक होने के नाते फिर सबकुछ भूल कर अपने मिशन में जुट जाते थे। संजय बताते हैं कि प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर से लेने के बाद वह आरएसएस से जुड़ गए और राजनीति में भी हर कदम पर संघ की सीख उनके काम आई। 

नहीं होता था किराया की वाहन से घर जाएं

भाजपा के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा ने बीते दिनों को याद करते हुए बताया कि संगठन में कार्य करते वक्त कभी-कभी प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता था। उस समय संगठन का कार्य कर वापस लौटने पर इतनी भी धनराशि जेब में नहीं होती थी कि वाहन का किराया देकर वापस घर लौट सकूं।