
प्रयागराज। सेक्टर-18 में सजा है श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा। यहां प्रवेश करते ही आपको बिस्तर पर मिलेंगे श्रीमहंत इंदर गिरि। इनके सिरहाने पर आक्सीजन सिलेंडर रखा है। ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद से ही वह सांस लेते हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि उनका अब तक छह बार ऑपरेशन हो चुका है। डाक्टरों ने चलने-फिरने से मना किया है फिर भी वह नहीं माने। शिष्यों की मदद से इनकी दिनचर्या पूरी होती है।
श्रीमहंत इंदर गिरि बताते हैं कि वर्ष 2021 में हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हुआ था। उस दौरान वह वहां पर अग्नि तपस्या कर रहे थे। अग्नि तपस्या के चलते शरीर का तापमान काफी अधिक था। अचानक ठंडा पानी उनके ऊपर गिरा और शरीर का तापमान लुढ़क गया। इसका सीधा असर उनके फेफड़ों पर पड़ा। सांस लेने में दिक्कत हुई तो अस्पताल पहुंचे।
2021 से अब तक छह बार हो चुका है ऑपरेशन
डॉक्टरों ने बताया कि फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचा। उनका खूब इलाज चला। 2021 से अब तक फेफड़ों के छह ऑपरेशन हो चुके हैं। सुधार नहीं होने पर डाक्टरों ने उन्हें हमेशा ऑपरेशन सपोर्ट पर रहने की सलाह दी है। अब ऑक्सीजन के सहारे बिस्तर पर ही भगवान की आराधना कर रहे हैं।
वह बताते हैं कि 2025 के महाकुंभ के अखाड़ों में तैयारी चल रही थी। अखाड़े से सूचना मिली कि संतों को कुंभ के लिए कूच करना है तो मन नहीं माना। सोचा जीवन का क्या ठिकाना? महाकुंभ बार-बार नहीं आएगा। शिष्यों से बात करने के बाद यहां कार से उन्हें लाया गया।
1986 से कुंभ में हो रहे शामिल
श्रीमहंत इंदर गिरि बताते हैं कि जब उन्होंने संन्यास लिया तब उनकी उम्र मात्र आठ साल की थी। पढ़ाई दूसरी ही कक्षा तक हो पाई थी। माता-पिता चाहते थे कि वह संत बनें, क्योंकि उनके परिवार में उनसे पहले छह पीढ़ी संतों की रह चुकी थी। माता-पिता की इच्छा पर वह परिवार की सातवीं पीढ़ी में संत बने।