लखनऊ। प्रदेश भर में लग रहे प्रीपेड स्मार्ट मीटर की गुणवत्ता खराब है। इसमें लगे कई उपकरण मानक के अनुरूप नहीं है। यह खुलासा पावर कॉरपोरेशन की ओर से कराई गई उच्च स्तरीय जांच में हुआ है। काॅरपोरेशन निदेशक ने मीटर लगाने वाली तीनों कंपनियों को नोटिस जारी किया है। ऐसे में स्मार्ट मीटर लगाने का मामला फिर फंसता नजर आ रहा है। वहीं, इन कंपनियों के उपकरणों की जांच कर उन्हें मंजूरी देने वाले अभियंताओं पर भी तलवार लटक रही है।
गौरतलब है कि यूपी में जीएमआर, पोलरिस इनटैली स्मार्ट व जीनस कंपनी को स्मार्ट प्रीपेड मीटर का काम मिला है। इनमें से दो कंपनियों को नोटिस भेजा गया है। यह खुलासा होने पर उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि परिषद स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खराब गुणवत्ता को लेकर लगातार आवाज उठाता रहा है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर में चीन निर्मित कंपोनेंट का प्रयोग अधिक है। अब कॉरपोरेशन की तकनीकी जांच में इसका खुलासा हो गया है। घटिया क्वालिटी का मीटर लगने का खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ताओं को भुगतना होगा।
उन्होंने मांग की है कि इन कंपनियों के खिलाफ कठोर कदम उठाते हुए इन्हें काली सूची में डाली जाए। अवधेश वर्मा ने कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर में पावर फैक्टर गलत रिकार्ड करना और आरसीटी में तकनीकी खामियां यह बताने के लिए काफी है कि मीटर खराब गुणवत्ता वाले हैं। उन्होंने बताया है कि निदेशक कामर्शियल ने जीएमआर और पोलरिस इनटैली के सीईओ को नोटिस भेजा है।
प्रदेश में इस समय करीब 2.75 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग गए हैं। अधिकांश मीटर एलाइड इंजीनियरिंग वर्क्स (एईडब्ल्यू) मेक हैं।
ये खामियां
उपभोक्ता परिषद के मुताबिक उपभोक्ताओं के परिसर में लगाए गए स्मार्ट प्रीपेड मीटर की तकनीकी जांच में पावर फैक्टर गलत रिकॉर्ड करना, आरटीसी का दो घंटे में ट्रिप करना, पीटी रिसीवो का गलत फैक्टर बताना प्रमुख है। मीटर में ये खामियां हैं तो आने वाले समय में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की रीडिंग भार व टाइम सब गलत रिकॉर्ड करेगा।