रिपोर्ट: अरुण यादव

आजमगढ़। जिले में मदरसा पोर्टल ऑनलाइन फीडिंग में 313 मदरसे मानक के अनुरूप नहीं मिले थे। इस मामले में जब एसआईटी ने जांच की तो 219 मदरसों का अस्तित्व में ही नहीं मिला। एसआईटी द्वारा जब इन मदरसा पोर्टल पर मदरसा प्रबंधकों द्वारा दर्ज किए गए डाटा की जांच की गई तो कहीं मौके पर मदरसा ही नहीं मिला। कही मदरसे की जगह शटरनुमा दुकानें संचालित होती मिलीं, वहीं कई जगहों पर मदरसों की जगह पर दूसरे विद्यालय का संचालन होता मिला।

यह है पूरा मामला

बताते चलें कि जिले में वर्ष 2009-10 में बिना भौतिक सत्यापन के कई मदरसों को मान्यता और अनुदान देने का मामला सामने आया था। 2017 में इस बात की शिकायत सरकार से की गई थी। 2017 में हुई जांच में 387 मदरसे वैध मिले। जबकि 313 मदरसे में गड़बड़ियां पाई गई थी। इसके बाद इस पूरे मामले की जांच शासन ने एसआईटी को दे दिया था। वर्ष 2022 में शासन को सौंपी जांच में एसआईटी ने बताया था कि 219 मदरसे ऐसे हैं जो अस्तित्व विहीन थे। इन मदरसे के संचालकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का शासन ने निर्देश दिया था लेकिन अब तक इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी।

शासन के निर्देश पर दर्ज हो रहा मुकदमा

शासन के निर्देश पर अब इन मदरसों के खिलाफ एफआई दर्ज होनी शुरू हो गई है। सभी थानों में एफआईआर की काफी पहुंच गई है। किसी थाने को 50 कापी तो किसी थाने को 20 कापी तहरीर मुकदमा दर्ज करने के लिए भेजी गई है। इस मामले में 6 फरवरी को पहला मुकदमा कंधरापुर थाने में दर्ज हुआ था। वहीं आठ फरवरी को कुल 12 मुकदमे दर्ज हुए।

ऐसे हो रहा था फर्जीवाड़ा

केस नम्बर-1
मदरसे के स्थान पर मिली तीन दुकानें
आजमगढ़। एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा इस्लामिया फैजुल उलूम नई बस्ती रौनापार का निरीक्षण किया गया तो पाया कि 11 जून 2008 को इसे तहतानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी। पोर्टल पर प्रबंधक द्वारा तीन कमरे दर्शाए गए थे लेकिन जांच में तीन शटरनुमा दुकानें मौके पर मिली। इन पर ही मदरसे का बोर्ड और ब्लैक बोर्ड लगा था। छात्र संख्या 140 दर्शाई गई थी लेकिन मौके पर एक भी छात्र की पुष्टि नहीं हुई।

केस नम्बर-2

मौके पर मिले तीन कमराें की जगह दो जर्जर कमरे
आजमगढ़। एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा मिफ्तादुल उलूम, प्राथमिक रौनापार का निरीक्षण किया गया तो पाया कि 24 अप्रैल 1998 को इसे तहतानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी। पोर्टल पर प्रबंधक द्वारा तीन कमरे दर्शाए गए थे लेकिन जांच में दो जर्जर कमरे मौके पर मिले। छात्र संख्या 190 दर्शाई गई थी लेकिन मौके पर 67 मिले।

केस नम्बर-3

जांच में मौके पर नहीं मिला कोई मदरसा
आजमगढ़। एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा दर्सगाह अरबिया चांदपट्टी रौनापार का निरीक्षण किया तो पाया कि 3 जून 2010 को इसे फौकानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी। पोर्टल पर प्रबंधक द्वारा तहतानिया स्तर के तीन और फौकानिया स्तर के तीन के अलावा एक प्रधानाचार्य कक्ष और पुस्तकालय कक्ष के निर्माण को दर्ज किया गया।जांच में मौके पर मदरसा ही नहीं मिला। तहतानिया के 60 और फौकानिया के 30 पोर्टल पर दर्शाए गए थ। लेकिन, जांच में इनकी पुष्टि नहीं हुई।

केस नम्बर-4

तीन कमरों में एक भी नहीं मिला मौके पर
आजमगढ़। एसआईटी टीम ने जब सिधारी थाना क्षेत्र के मदरसा दारूल ओलूम मोहम्मदिया कटघर सदर का निरीक्षण किया गया तो पाया कि 8 मई 2012 को इसे तहतानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी। पोर्टल पर प्रबंधक द्वारा तीन कमरे दर्शाए गए थे लेकिन जांच में कोई भी कमरा मौके पर नहीं पाया गया। छात्र संख्या 85 दर्शाई गई थी लेकिन मौके पर एक भी छात्र की पुष्टि नहीं हुई।

केस नम्बर-5
मौके पर मदरसे की जगह मिला इंटर कालेज
आजमगढ़। एसआईटी टीम ने जब सिधारी थाना क्षेत्र के मदरसा जामियातुल बनात भदुली का निरीक्षण किया गया तो पाया कि 5 मई 2007 को इसे तहतानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी। पोर्टल पर प्रबंधक द्वारा तीन कमरे दर्शाए गए थे लेकिन जांच में मदरसे की जगह मौके पर सर्वोदय इंटर कालेज संचालित मिला। छात्र संख्या 110 दर्शाई गई थी लेकिन मौके पर एक भी छात्र की पुष्टि नहीं हुई।

क्या बोले अधिकारी

एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने बताया कि जनवरी 2023 में शासन द्वारा एक जांच एसआईटी से कराई गई थी। इसमें जिले के कई जो पोर्टल पर दर्ज थे उनमें से 219 मदरसे अस्तित्वविहीन पाए गए थे। इनके द्वारा फर्जी तरीके से सरकारी अनुदान लेकर उसका उपयोग किया जा रथा। इसके बाद शासन की ओर से इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया। इस पर ईओडब्ल्यू के इंस्पेक्टर कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह ने थानों में तहरीर दी गई है। 11 मुकदमे दर्ज हुए हैं और अन्य दर्ज किए जा रहे हैं।