रिपोर्ट: अरुण यादव/दीपक चौरसिया

आज़मगढ़।  मस्जिदों और इबादतगाहों में भी इफ्तार के दस्तरखान सजे। वहीं, मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में रात तक चहल-पहल रही। उधर, इशां की नमाज के बाद तरावीह की नमाज में मस्जिदों के सफ भरे रहे। 

रमजान का पहला रोजा रविवार को शुरू हुआ। भोर में लोगों ने उठकर सहरी की और रोजे की नियत करते हुए दिन भर रोजा रखा। पूरा दिन खुदा की इबादत में गुजारा। चूंकि पहला रोजा था, इसलिए बच्चों ने भी पूरे उत्साह के साथ रोजा रखा। रोजेदारों ने मस्जिदों में कुरान की तिलावत की। 

उधर, घरों में महिलाएं दोपहर से ही इफ्तार की तैयारी में लग गईं। तरह-तरह के पकौड़े, शरबत, चना, छोला समेत कई व्यंजन इफ्तार के समय दस्तरख्वान पर सजे थे। मस्जिदों से अजान की सदा सुनते ही लोगों ने दुआ के साथ रोजा खोला और मगरिब की नमाज अदा की। 

इफ्तार के साथ ही मस्जिदों में नमाज के साथ ही चारों तरफ खुशी का नजारा था। मुस्लिम बहुल इलाकों में रूहानियत का माहौल था। रमजान की रहमत जहां बरस रही थी। वहीं, दूसरी ओर इफ्तार के बाद बाजार गुलजार हो गए। रविवार होने की वजह से रोजेदारों को थोड़ी राहत मिली। 

अजुआ खजूर सबसे महंगा
माह-ए-रमजान का पहला रोजा रविवार को शुरू होने से सेहरी और इफ्तारी की तमाम सामग्रियां बाजार में बिकने लगी हैं। इराकी खजूर सस्ता होने से बाजार में इसकी मांग अधिक है। जबकि सऊदी अरब का अजुआ खजूर सबसे महंगा है। कलमी, अंबर, ईरानी, शुकई खजूर आदि की बिक्री खूब हो रही है। 

खजूर 120 से 1200 रुपये किलो तक बिक रहा है। हालांकि, इस बार सभी खजूर में 15 से 150 रुपये प्रति किलो तक की वृद्धि हुई है। रमजान शुरू होते ही लोग रोजेदार इत्र, सेवई, ड्राईफ्रूट्स और खजूर की खरीदारी करते हैं। हर रोजेदार खजूर व पानी से रोजा खोलते हैं इसलिए रोजा इफ्तारी में इसे शामिल किया जाता है। 

बाजार में भी विदेशी खजूर की भरमार है। इराकी खजूर की कीमत 120 रुपये किलो है। सामान्य तौर पर इसकी मांग ज्यादा है। हालांकि किमामी, ईरानी, धमाल, नगाल की बिक्री भी हो रही है। ये सारे खजूर 140-300 रुपये किलो तक में मिल रहे है।