
रिपोर्ट: अरुण यादव
आज़मगढ़। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। सपा कार्यालय से कलेक्ट्रेट भवन तक पैदल मार्च निकालते हुए कार्यकर्ताओं ने महंगाई, बेरोजगारी, आरक्षण और मूलभूत सुविधाओं से वंचित करने की कथित साजिशों का विरोध किया। इस दौरान जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी सौंपा गया।
प्रदर्शनकारी सपा नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेता धर्म और जाति के नाम पर देश को बांटने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना था कि केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियां गरीबों को और गरीब बनाने तथा पूंजीपतियों को अमीर करने के लिए बनाई जा रही हैं।
सपा नेताओं ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे अपने भाषणों से समाज में नफरत फैला रहे हैं और देश को धर्म व जाति के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं। सपा कार्यकर्ताओं ने 26 मार्च को दलित नेता और सांसद रामजी लाल सुमन के घर पर हुए हमले को भी प्रमुखता से उठाया।
ज्ञापन में दावा किया गया कि करणी सेना ने प्रदेश सरकार के संरक्षण में बुलडोजर और हजारों लोगों के साथ सांसद के आवास पर हमला किया, जिसमें मकान, गाड़ियां और अन्य सामानों को तोड़ा गया। हमलावरों ने सांसद के परिवार को अपमानित करते हुए दलित जाति के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया।
पुलिस मूकदर्शक बनी रही और इस घटना के दिन सीएम योगी आदित्यनाथ भी आगरा में मौजूद थे, जिससे यह संदेह गहराता है कि करणी सेना को सरकारी संरक्षण प्राप्त है। सपा नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री मनुस्मृति के विधान में विश्वास करते हैं, न की संविधान में।
उन्होंने दावा किया कि सांसद सुमन ने केवल इतिहास में लिखी बातों को उद्धृत किया था, जो अभिव्यक्ति की आजादी के तहत उनका अधिकार है। इसके बावजूद भाजपा और करणी सेना द्वारा संविधान विरोधी कृत्य किए जा रहे हैं, जिससे शोषित, पीड़ित, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों में आक्रोश है।
ज्ञापन में मांग की गई कि हमलावरों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह और गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए। सपा ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो देश का 90 प्रतिशत पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक आबादी आंदोलन के लिए बाध्य होगी।