जौनपुर। पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने कहा है कि जौनपुर लोकसभा से नामांकन के आखिरी दिन बसपा का टिकट कटने से उनकी पत्नी श्रीकला धनंजय सिंह आहत हैं। धनंजय सिंह ने इस बात का खंडन किया है कि उन्होंने बसपा से बात करके टिकट लौटाया है या चुनाव लड़ने से मना किया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी बसपा प्रमुख मायावती से 11 साल से बात नहीं हुई है, आखिरी बात 2013 में हुई थी जब वो जौनपुर से ही बीएसपी के सांसद थे। धनंजय ने कहा कि श्रीकला का पर्चा खारिज हो जाएगा क्योंकि राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने दस प्रस्तावक नहीं दिए हैं जबकि निर्दलीय में ये जरूरी होता है। उन्होंने कहा कि जौनपुर से वो जिसे चाहेंगे वो जीतेगा क्योंकि उनके साथ 3-4 लाख लोगों का वोट है जो जौनपुर ही नहीं मछलीशहर लोकसभा सीट पर असर डालेगा।
बसपा ने सोमवार को नामांकन के आखिरी दिन श्रीकला का टिकट काटकर मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव को दोबारा लड़ा दिया है। सुबह से यह खबर चल रही थी कि धनंजय सिंह ने किसी दबाव में आकर बसपा से कहा कि उनकी पत्नी नहीं लड़ेगी जिसके बाद मायावती ने श्याम सिंह यादव को आधी रात फोन करके लड़ने के लिए कहा। श्रीकला ने कल रात ही अपना चुनाव कार्यालय खोला था जिसका उद्घाटन बसपा के जोनल कोर्डिनेटर घनश्याम खरवार ने किया था। धनंजय सिंह भी उसमें मौजूद थे। धनंजय ने दिन भर की चुप्पी के बाद शाम में मीडिया से बात की और बसपा पर खूब बरसे।
उन्होंने कहा कि जौनपुर अकेली सीट थी जिसको लेकर बसपा चर्चा में आ गई। बसपा ने पांच जगह टिकट काटे लेकिन वहां कोई नहीं पूछ रहा है। जौनपुर के कारण बसपा चर्चा में है। धनंजय सिंह के कारण बसपा चर्चा में है। बसपा की वजह से धनंजय सिंह चर्चा में नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीति में संभावना बनी रहती है लेकिन वो इतनी बार धोखा खा चुके हैं कि बसपा से उनका आगे कुछ होगा, लगता नहीं है। धनंजय सिंह ने कहा कि मेरी पत्नी के साथ गलत हुआ है। मुझे बहुत आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि मेरे साथ पहले भी तीन बार ये सब हो चुका है। मेरी पत्नी के लिए यह पहली घटना थी।
धनंजय सिंह ने बसपा नेता घनश्याम खरवार की बयानबाजी पर कहा कि अपनी पार्टी को डिफेंड करना है तो करिए लेकिन लोगों को गुमराह मत करिए। उन्होंने कहा कि बसपा ने अमेठी, बस्ती, आजमगढ़, बनारस में भी टिकट काटा है। हो सकता है कि इनकी कार्यशाली यही हो। धनंजय ने कहा कि बसपा वाले जो टिकट लौटाने या चुनाव लड़ने से मना करने की बात बता रहे हैं, वो गलत है। अपनी पार्टी को डिफेंड करिए लेकिन दूसरे को डिफेम मत करिए।