लखनऊ । लखनऊ नगर निगम अब 25 विदेशी प्रजाति के कुत्तों को पालने का लाइसेंस नहीं जारी करेगा। साथ ही शहर में इनको पालने पर पूरी तरह से प्रतिबंध भी लगा दिया गया है। जिन लोगों के पास पहले से इन प्रजातियों के कुत्ते हैं,उन्हें उनकी नसबंदी करानी होगी। इसके माध्यम से इनकी नस्ल खत्म की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आदेश न मानने पर 5 हजार तक का जुर्माना लग सकता है। दरअसल देशभर में विभिन्न स्थानों पर इन कुत्तों के खतरनाक होने की सूचना और काटने की घटनाओं के बाद केंद्र सरकार ने इन कुत्तों पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अभिनव वर्मा ने बताया कि जिन प्रजातियों के कुत्तों को पालने पर रोक लगाई गई है, उनमें पिटबुल टेरियर, टोसा इनु, अमेरिकन टेरियर, फाइला ब्रासीलरो, डागो अर्जेंटीनो, अमेरिकन बुलडॉग, बाइबिल, कंगाल, सेंट्रल एशियन शेफर्ड, काकासियन शेफर्ड, साउथ रशियन शेफर्ड, तोरनजाक, सरप्लानिनैक, जापानी टोसा, अकिता, रॉटविलर, मस्टीफ, टेरियर, रोडेशियन रिजबैक, वुल्फ डॉग, कैनेरियो, अकबैस डॉग, मास्को गार्ड डॉग, केन करसो तथा बैनडॉग हैं। वहीं जिनके पास ये कुत्ते हैं, अगले साल उनके लाइसेंस का नवीनीकरण तभी होगा, जब नसबंदी का सर्टिफिकेट देंगे।
जानकारी के मुताबिकमौजूदा समय में प्रतिबंधित प्रजातियों के 4290 कुत्ते पाले गए हैं। नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी के मुताबिक इन कुत्तों के लाइसेंस निगम ने जारी किए थे। आगे से इनके लाइसेंस तभी बनेंगे जब इनकी नसबंदी होगी।

लखनऊ के पीएचसी पर एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने के लिए मरीजों को बाहर से सिरिंज खरीदनी पड़ रही है। कई पीएचसी पर तो एंटी रैबीज की डोज तक नहीं पहुंच रही है। इससे मरीजों को दूसरे बड़े अस्पतालों या नर्सिंग होम जाकर एंटी रैबीज वैक्सीन लगवानी पड़ रही है। इंदिरा नगर, अलीगंज सीएचसी के तहत जितनी भी पीएचसी हैं, उनमें से ज्यादातर में मरीजों से बाहर से सिरिंज मंगवाई जा रही है। सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि पीएचसी या सीएचसी पर एंटीरैबीज के लिए सिरिंज न होने की जानकारी नहीं है। इसके बारे में पता कराया जाएगा।