प्रयागराज। बुर्ज खलीफा को टक्कर देने वाले वृंदावन में निर्माणाधीन दुनिया के सबसे ऊंचे चंद्रोदय मंदिर का स्वरूप महाकुंभ मेला क्षेत्र में बनाया जा रहा है। सेक्टर 6 में नागवासुकि मार्ग पर बन रहे मंदिर स्वरूप का पंडाल 62 फीट का होगा। इसका आकार वृंदावन के मदन मोहन मंदिर जैसा होगा। एक लाख 46 हजार स्कवायर फीट में बन रहे मंदिर स्वरूप पंडाल में भगवान गौर-निताई की छह फीट ऊंची प्रतिमूर्ति श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखी जाएगी।

इस मंदिर को अंतिम रूप देने में वृंदावन और बंगाल से कारीगर बुलाए गए हैं। हरे कृष्ण मूवमेंट के उपाध्यक्ष सुरेश्वर दास ने बताया कि 11 जनवरी को संगम के क्षोर पर भगवान गौर-निताई की प्रतिमूर्ति को आम श्रद्धालुओं के लिए रख दिया जाएगा। लगभग 500 वर्ष पहले भगवान गौर-निताई अवतरित हुए थे। श्रीकृष्ण मंदिरों में हरे कृष्ण संकीर्तन भी भगवान गौर-निताई की ही देन हैं। यही वजह है कि इनकी जो प्रतिमा महाकुंभ में विराजमान होगी, वह हाथ उठाने की मुद्रा में होगी।

वृंदावन की सांस्कृतिक कलाओं को भी क‍िया जाएगा प्रदर्शितवह बताते हैं क‍ि गौर यानी भगवान श्रीकृष्ण के अवतार हैं। निताई यानी भगवान नित्यानंद कोई और नहीं बल्कि बलराम जी हैं। प्रतिमूर्ति की स्थापना के बाद नित्य प्रवचन के अलावा वृंदावन की सांस्कृतिक कलाओं को भी प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा वृंदावन के नामी कलाकारों की ओर से कृष्ण लीला और श्रीरामलीला का मनोहारी मंचन किया जाएगा। यहां पर प्रतिदिन 10 हजार संत-महात्माओं और श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का भी आयोजन होगा।

गजब की नक्काशीकारीगरों द्वारा मेला क्षेत्र में बांस और लकड़ी की प्लाई के अलावा कपास के गत्ते से निर्माण कराया जा रहा है। यहां प्लाई और गत्ते पर कारीगरों द्वारा नक्काशी की जा रही है। इसके अलावा प्रवचन स्थल के लिए पक्के फर्श का निर्माण कराया गया है। यहां अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त तमाम चीजें भी देखने को मिलेंगी।700 फीट ऊंचा बन रहा चंद्रोदय मंदिरवृंदावन में चंद्रोदय मंदिर का निर्माण कार्य हरे कृष्ण मूवमेंट (वृंदावन) करवा रहा है। 16 नवंबर 2014 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसकी आधारशिला रखी थी। मंदिर में लगभग 166 मंजिलें होंगी, जो दुनिया के किसी भी मंदिर में नहीं है। चंद्रोदय मंदिर की ऊंचाई लगभग 700 फीट होगी। यह दिल्ली में 72.5 मीटर के कुतुबमीनार से तीन गुणा ज्यादा है। यही कारण है कि मंदिर के पूरा होने पर इसे दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में गिना जाएगा। इसकी नींव की गहराई दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा से भी तीन गुना ज्यादा है।