आजमगढ़ । कभी बसपा का भी गढ़ माना जाता रहा आज़मगढ़ जिले को अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने आजमगढ़ लोकसभा सीट को प्रयोगशाला बना दिया है। यही कारण है कि तीन सप्ताह के अंदर  अब तक तीन बार बसपा प्रत्याशियों के टिकट बदले जा चुके हैं।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व बसपा के प्रत्याशी रहे शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के समाजवादी पार्टी में चले जाने के बाद से बसपा को आजमगढ़ जिले में प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। बसपा ने 12 अप्रैल को प्रत्याशियों की घोषित चौथी लिस्ट में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे भीम राजभर को आजमगढ़ लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। 12 दिन आजमगढ़ के प्रत्याशी रहे भी राजभर को 24 अप्रैल को आजमगढ़ से बलिया जिले के सलेमपुर लोकसभा सीट पर शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट  खाली हो गई। आजमगढ़ लोक सभा सीट से बसपा माइनॉरिटी प्रत्याशी की तलाश में लगी थी । इसी क्रम में 28 अप्रैल को बसपा की नौवीं लिस्ट में आज़मगढ़ शहर की रहने वाली औ कांग्रेस की नेत्री सबीहा अंसारी को प्रत्याशी बनाया गया। 28 अप्रैल को बसपा की प्रत्याशी बनी सबीहा अंसारी अपनी चुनावी तैयारियां कर रही थी। इसी बीच दो मई को बसपा ने उनके पति मसहूद अहदम को बसपा का प्रत्याशी बना दिया। मसहूद अहमद को कांग्रेस ने अपनी नई कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष बनाया हुआ था। इंडिया गठबंधन और एनडीए गठबंधन से चुनौती के सवाल पर मसहूद अहमद का कहना है कि किसी भी दल से कोई चुनौती नहीं है। मसहूद अहमद ब्राइट एजूकेशनल एंड सोशल नाम से एक संगठन चलाकर गरीबों की सेवा करते हैं।