लखनऊ। पावर कॉरपारेशन के दो डिस्काम पूर्वांचल और दक्षिणांचल को जिन पांच निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा, उनके चेयरमैन मुख्य सचिव होंगे। निजीकरण के संबंध में पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने शनिवार को भी बैठक कर मंथन किया।

प्रबंधन ने निजीकरण को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम पर स्थिति साफ करते हुए कहा कि ऊर्जा क्षेत्र की स्थिति सुधारने के लिए रिफार्म प्रक्रिया के तहत मुख्य सचिव को ही पांचों कंपनियों का चेयरमैन बनाया जाएगा। इससे अधिकारियों, कर्मचारियों, किसानों व उपभोक्ताओं का हित सुरक्षित रहेगा। रिफार्म प्रक्रिया में भाग लेने वाली निजी कंपनियों के लिए बिडिंग प्रक्रिया पूरी तरह खुली, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक रखी जाएगी।

निजी कंपनियों को नहीं दिया जाएगा जमीन का स्वामित्व

रिफार्म प्रक्रिया में निजी कंपनियों को जमीन का स्वामित्व नहीं दिया जाएगा। उनको केवल विद्युत वितरण संबंधी कार्यों की अनुमति दी जाएगी। निजी कंपनियां डिस्काम की संपत्तियों का उपयोग शापिंग माल, दुकानें या कांपलेक्स सहित अन्य व्यवसायिक या वाणिज्यिक कार्यों के लिए नहीं करेंगी।

शनिवार को हुई बैठक में कारपोरेशन के पांचों डिस्काम पूर्वांचल , मध्यांचल , दक्षिणांचल , पश्चिमांचल एवं केस्को के प्रबंध निदेशकों, निदेशकों और मुख्य अभियंताओं ने प्रबंधन को सुझाव दिए।

बताया गया कि स्थानीय स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों ने कर्मचारी व अधिकारी संवर्ग के संगठनों के साथ-साथ संविदा कर्मचारियों से भी निजीकरण पर संवाद किया है। दावा किया गया कि रिफार्म के लिए स्वीकार्यता है। केवल सेवा-शर्तों , प्रोन्नति व छटनी आदि को लेकर शंकाएं हैं।

अधिकारी-कर्मचारी की नहीं की जाएगी छंटनी

कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने कहा कि विद्युत अधिनियम-2003 की धारा-133 में स्पष्ट है कि ट्रांसफर स्कीम में किसी भी अधिकारी एवं कर्मचारी की छंटनी नहीं की जा सकती है। नई कंपनी में मर्जर के बाद भी इन संवर्गों को सेवा में रखना अनिवार्य होगा। उनकी सेवा-शर्तें पूर्व से किसी भी प्रकार से कम नहीं होंगी।पेंशन का सारा दायित्व पूर्व की तरह राज्य सरकार का होगा। रिफार्म प्रक्रिया में वीआरएस का भी विकल्प है। वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद दो वर्ष तक कहीं और नौकरी न करने का प्रतिबंध नहीं होगा।