रिपोर्ट: अरुण यादव

आजमगढ़। जिला कारागार के ब्लैंक चेक  से धन गबन करने के मामले में पुलिस ने  खुलासा करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह रकम जेल अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर और मुहर लगाकर निकाली गई थी। पुलिस ने इस मामले में जेल के ही दो कर्मचारियों ने दो बंदियों के साथ मिलकर सरकारी धन को बैंक से निकाला और  अपने-अपने हिस्से की रकम उड़ा ली।

जेल अधीक्षक आदित्य कुमार ने थाना कोतवाली में तहरीर दी कि कारागार के सरकारी खाते से धोखाधड़ी कर ₹52,85,000 की निकासी की गई है। बीते 9 अक्टूबर को वरिष्ठ सहायक/प्रभारी लेखा मुशीर अहमद से बीएचयू वाराणसी में उपचार हेतु भेजी गई राशि में शेष धनराशि के संबंध में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई। इस पर जब कैनरा बैंक, कोतवाली शाखा से खाता विवरण मंगाया गया, तो पता चला कि यह धनराशि बंदी रामजीत यादव उर्फ संजय पुत्र रामाश्रय यादव, निवासी ग्राम जमुआ सागर, थाना बिलरियागंज, जनपद आजमगढ़  के खाते में ट्रांसफर की गई थी।

जांच में पता चला कि रामजीत यादव, जो 20 मई 2024 को सजा काटकर जेल से रिहा हुआ था, ने अपने साथी बंदी शिवशंकर यादव उर्फ गोरख पुत्र लालजी यादव, निवासी ग्राम चकमेउवाँ, थाना रानी की सराय, जनपद आजमगढ़  के साथ मिलकर यह फर्जीवाड़ा किया। शिवशंकर को लेखा कार्यालय में राइटर के रूप में तैनात किया गया था। दोनों ने जेल कर्मचारी मुशीर अहमद पुत्र स्व. समीर अहमद, निवासी ग्राम कनौजा खुर्दा, थाना फुलपुर, जनपद प्रयागराज  हाल पता जिला कारागार आजमगढ़ और अवधेश कुमार पांडेय पुत्र स्व. जुगुल किशोर पांडे, निवासी ग्राम सहतवार, थाना सहतवार, जनपद बलिया हाल पता जिला कारागार आजमगढ़ के साथ मिलकर अधीक्षक की चेकबुक चोरी की और फर्जी हस्ताक्षर व मुहर लगाकर करोड़ों रुपये निकालने की योजना बनाई। इस पूरे प्रकरण में थाना कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। जांच के बाद शनिवार देर रात व0उ0नि0 दल प्रताप सिंह मय हमराह ने चारों अभियुक्तों को थाना कोतवाली परिसर से हिरासत में लिया।

पुलिस अधीक्षक नगर मधुबन कुमार सिंह ने बताया कि अभियुक्त रामजीत यादव के कब्जे से गबन के पैसों से खरीदी गई एक बुलेट ,  मोबाइल, बैंक चेक की फोटो, बैंक स्टेटमेंट और जिला कारागार की फर्जी मोहर बरामद की गई। पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि उसने अपनी बहन की शादी में ₹25 लाख खर्च किए, ₹3.75 लाख की बुलेट खरीदी और ₹10 लाख से कर्ज चुकाया। उसके खाते में शेष ₹23 हजार रुपये को पुलिस ने होल्ड करा दिया है।

अभियुक्त मुशीर अहमद ने अपने हिस्से के ₹7 लाख, शिवशंकर यादव ने ₹5 लाख और अवधेश पांडेय ने डेढ़ लाख व्यक्तिगत व घरेलू खर्चों में खर्च कर दिए। पूछताछ के दौरान चारों आरोपियों ने कबूल किया कि वे जेल अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर और मुहर का इस्तेमाल करके ब्लैंक चेक भरते और रकम अपने खातों में ट्रांसफर कराते थे।