गोरखपुर: प्रेम प्रसंग में बाधक बन रहे पिता की बेटी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर मंगलवार को कुल्हाड़ी से सिर पर वार कर हत्या कर दी थी। इसके बाद घटना को दूसरी तरफ मोड़ दिया, लेकिन पुलिस ने उसके मंसूबों पर अगले दिन पानी फेर दिया। घटना में शामिल बेटी के प्रेमी को पुलिस भागने के क्रम में शहर के सुभाष चौक से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद दोनों को न्यायालय में पेश किया। जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया।

घटना के बाद बेटी ने जमीन के विवाद में गांव के कुछ लोगों पर हत्या करने का आरोप लगाया था। पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने हत्या से इनकार किया और इनका मोबाइल लोकेशन भी दूसरी जगह बता रहा था। इसके बाद टीम को बेटी दीपाली पर संदेह हुआ तो कड़ाई से पूछताछ की, जिसके बाद उसने हकीकत बयां कर दी।

सदर कोतवाली क्षेत्र के महुआबारी मोहल्ला निवासी उदयभान यादव (65) की उनके पुराने मकान के दूसरी मंजिल पर एक कमरे में कुल्हाड़ी से मार कर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने मामले में मृतक के भाई धर्मेंद्र यादव पुत्र स्व. महेश यादव की तहरीर पर चार नामजदों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। मामले में एसपी विक्रांत वीर ने डाग स्क्वाड, फारेंसिक टीम, एसओजी टीम, सर्विलांस टीम, प्रभारी निरीक्षक थाना कोतवाली की टीम बनाकर पर्दाफाश की जिम्मेदारी सौंपी। 

बेटी ने पुलिस पूछताछ में कबूला सच
टीम के सदस्यों ने सर्विलांस के सहारे हत्या के समय घर में मौजूद लोगों के बारे में जानकारी ली। पुलिस ने घर पर मौजूद मृतक की पुत्री दीपाली यादव से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह अपने प्रेमी कोतवाली क्षेत्र के मुराडीह निवासी विशेष कुमार उर्फ पवन गौंड के साथ मिलकर कुल्हाड़ी से पिता की हत्या कर दी। पुलिस ने शहर के सुभाष चौक से विशेष कुमार गौंड उर्फ पवन को गिरफ्तार किया। पुलिस ने दोनों को बृहस्पतिवार को मेडिकल के बाद न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया। 

बड़ी बेटी को चाचा ने घर में जाने से रोका
पिता की हत्या की सूचना के बाद संतकबीरगनर में कांस्टेबल के पद पर तैनात बड़ी बेटी दीक्षा यादव सीधे गांव पहुंची। हत्या के बाद गांव वाले घर को पुलिस ने सील कर दिया था। वहां पर परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। दोनों भाई घोठे पर मकान बनवाकर रह रहे चाचा के यहां मौजूद थे। वह चाचा के घर पहुंची तो भाई की हत्या के बाद बदहवास उसके चाचा ने उसे रोक दिया। हालांकि उनकी मां, पत्नी व परिवार के अन्य सदस्यों ने काफी समझाया। थोड़ी देर के लिए वह एकदम से नाराज थे। 

इसी बीच दीक्षा ने डॉयल 112 की मदद मांगी। सूचना के बाद रात करीब 22.34 पर फोन कॉल आया। जिस पर कॉलर ने अपना नाम दीक्षा यादव पुत्री स्वर्गीय उदयभान यादव बताया। उन्होंने बताया कि ये महिला सिपाही हैं। इनके चाचा घर पर नहीं रहने दे रहे हैं ताला बंद कर दिए हैं। महिला ने कहा कि वह अपनी बुआ के घर जाना चाहती हैं जो गोरखपुर ओवरब्रिज के समीप रहती है। महिला को पीआरवी 1456 ने उनकी बुआ के घर पहुंचा दिया। 

सुबह में वह अपनी बुआ और भाई के साथ चाचा के घर पहुंची। जहां सभी परिजन मौजूद थे। चाचा ने बताया कि घटना के बाद उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा था। अचानक से इतनी बड़ी घटना उनके परिवार के सदस्य के साथ हो जाएगी। इसका अंदेशा नहीं था। वह भाई के ब्रह्मभोज के आयोजन संबंधित जानकारी में लगे हुए थे।