आज़मगढ़। आज़मगढ़ लोकसभा सीट पर बसपा मुखिया मायावती ने राजनीतिक पंडितों को चौकाते हुए अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व आज़मगढ़ मंडल के जोनल कोआर्डिनेटर रहे भीम राजभर को पार्टी का प्रत्याशी बनाया है। टिकट की घोषणा होते ही बसपा खेमे में जहां खुशी की लहर है वही भाजपा और सपा खेमे में नए सिरे से जीत की रणनीति बनाई जा रही है। इसी के साथ ही आज़मगढ़ लोकसभा सीट से भाजपा, बसपा और सपा तीनों दलों के प्रत्याशी पैरासूट प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में ताल ठोकेंगे।
भीम राजभर का जन्म 3 सितंबर 1968 में मऊ जनपद के कोपगंज ब्लॉक के मोहम्मदपुर बाबूपुर गांव में हुआ था। भीम राजभर ने अपनी प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा महाराष्ट्र से और सेकेंड्री शिक्षा नागपुर से किया। भीम राजभर की एक बहन है। इनके पिता रामबली राजभर कोल्ड फील्ड में सिक्योरिटी इंचार्ज के पद पर कार्यरत रहे हैं। भीम राजभर ने 1985 में ग्रेजुएशन किया और 1987 में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। एलएलबी पास भीम राजभर एक अधिवक्ता होने के साथ बसपा से ही अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत वर्ष 1985 में की । वे बसपा के मऊ जिलाध्यक्ष भी रहे हैं। वर्ष 2012 में भीम राजभर ने बसपा से मऊ सदर विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़े थे, इस चुनाव में उन्हें बाहुबली मुख्तार अंसारी से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भीम राजभर को आजमगढ़ मंडल का जोनल कोआर्डिनेटर बनाया गया था। वर्ष
2017 में भाजपा के प्रचंड बहुमत के बाद जब बसपा के बड़े नेता दूसरे दलों में चले गए तो बसपा मुखिया मायावती ने वर्ष 2020 में भीम राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। और अब भीम राजभर को आज़मगढ़ लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया है।
आज़मगढ़ लोकसभा चुनाव में भाजपा ने निवर्तमान सांसद दिनेश लाल यादव को प्रत्याशी बनाया तो समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया है। बसपा का टिकट घोषित नहीं होने से कयासों का बाज़ार भी गर्म था अधिकांश राजनीतिक पंडित यह मान रहे थे कि बसपा किसी मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतरेगी लेकिन बसपा प्रमुख ने सबको चौकाते हुए शुक्रवार को भीम राजभर के नाम की घोषणा की। भीम राजभर के नाम की घोषणा के साथ ही अब सपा और भाजपा ने नए सिरे से जीत की रणनीति बनाने में जुट गई है।