संभल। 24 कोसीय परिक्रमा की परिधि में स्थापित 68 तीर्थों में से अब तक प्रशासन को 41 मिल चुके हैं। बाकी 19 कूप भी सामने आ गए हैं। ऐसे में अब इन तीर्थों को अस्तित्व में लाैटाने के लिए कार्य चल रहा है। शहरी क्षेत्र में तीर्थों को वंदन योजना से संवारा जाएगा।

कुछ पर काम भी चल रहा है। इसके लिए पालिका सर्वे कर रही है। अगले सप्ताह संभल कल्कि देव तीर्थ समिति की बैठक होने की उम्मीद है, जिसमें तीर्थ व कूपों के सुंदरीकरण को लेकर रूपरेखा तैयार की जाएगी।

जिले में 19 कूप मौजूद हैं

बता दें कि संभल की धरा पर 19 कूप हैं। जो अलग-अलग नाम और कर्मकांड से पहचान रखते हैं। संभल दर्शन इतिहास पुस्तक में इन सभी तीर्थों के कर्मकांड भी स्थित है, लेकिन दौर के साथ-साथ इन कूपों की दुर्दशा होती गई। नतीजन, सभी कूप लगभग विलुप्त हो गए।

इतिहासकार संकलन समिति के जिलाध्यक्ष अजय शर्मा बताते हैं कि द्वापर युग में इन सभी कूपों पर श्रद्धालुओं की आस्था उमड़ती थी, लेकिन प्रचलन और बदलते शासकों की वजह से इन कूपों का वजूद मिट गया। जमीनों पर अवैध कब्जे हो गए। अब वर्तमान में सरकार इन कूपों पर ध्यान दे रही है।प्रशासन सर्वे कर कूपों को तलाश चल रहा है। लगभग सभी कूप मिल भी गए हैं। पालिका क्षेत्र में लगभग आठ से दस कूप हैं और बाकी ग्राम पंचायतों में हैं। खास बात यह है कि इन कूपों को पुन:जीवित किया जाएगा। प्रशासन के मुताबिक 41 तीर्थ स्थल मिल चुके हैं। बाकी की तलाश चल रही है। नगर पालिका के ईओ मणिभूषण तिवारी ने बताया कि पालिका क्षेत्र में तीर्थ व कूपों का सुंदरीकरण वंदन योजना के तहत किया जाएगा। अभी सर्वे चल रहा है। उसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी जाएगी

पांच महातीर्थ और तीन तीर्थों के बीच में बसी शंभू की नगरी संभल

संभल में 68 तीर्थ और 19 कूपों में से पांच महातीर्थ भी माने गए हैं। तीन तीर्थों के बीच में शंभू की नगरी संभल बसी हुई है। जो, तीन तीर्थ हैं। उनमें संभलेश्वर, चंद्रेश्वर व भुवनेश्वर हैं। संभलेश्वर तीर्थ का महत्व है कि यहां पंचमुद्र महापीठ है। यहां विकटा देवी निवास करती हैं। देवी सिद्धि प्रदान करती हैं। इस तीर्थ में स्नान, पूजा एवं दर्शन करने से सारे विघ्न खत्म होते हैं।चंदेश्वर तीर्थ का महत्व है कि यहां पर शतरुद्री मंत्र का जप करने से मनुष्य मुक्त हो जाता है। यहां तपस्या करके दक्षराज कुबेर ने लक्ष्मी का भंडार प्राप्त किया था। चंद्रेश्वर को सिद्धलिंग कहते हैं। चंद्रेश्वर की अर्चना करने से सिद्धि प्राप्त होती है और भुवनेश्वर तीर्थ का महत्व है कि चंद्रेश्वर के पश्चिम में भुवनेश्वर महादेव का लिंग स्थापित है।भुवनेश्वर की भक्ति करने से शत्रुओं का नाश होता, धनवृद्धि होती है। जिलाधिकारी डा. राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि संभल कल्कि देव तीर्थ समिति की जल्द ही बैठक होगी, जिसमें तीर्थ व कूपों के सुंदरीकरण को लेकर को लेकर रूपरेखा तैयार की जाएगी। इसमें पतंजलि ट्रस्ट के लोग भी मौजूद रहेंगे।

यह है वंदन योजना

उत्तर प्रदेश सरकार ने वंदन योजना की शुरुआत करते प्रदेश के सांस्कृतिक, पौराणिक, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व के स्थलों पर अवस्थापना तथा अन्य सुविधाओं के विकास के लिए एक नई पहल की है। इसी योजना के तहत संभल में तीर्थों का विकास होगा।