लखनऊ। कभी बसपा के बड़े रणनीतिकारों में शामिल रहे और बसपा के चाणक्य कहे जाने वाले सतीश चंद्र मिश्रा इस बार के लोकसभा चुनाव में तकरीबन नदारद से दिख रहे हैं। जबकि बसपा के 40 स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सतीश चंद्र मिश्रा का नंबर तीसरे नंबर पर आता है। पहले चरण के लोकसभा चुनाव में महज कुछ दिन ही बाकी हैं। लेकिन बसपा के चाणक्य सतीश चंद्र मिश्रा बड़ी जनसभाओं और रैलियों में नजर ही नहीं आ रहे हैं। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती के उत्तराधिकारी आकाश आनंद की लगातार रैलियां हो रही हैं। इन रैलियों में आकाश आनंद बसपा के नेताओं की पहले से एक विशेष प्रकार के ढर्रे वाले भाषणों से इतर जनता से मुखातिब हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में सतीश चंद्र मिश्रा की पुराने दौर की तरह रैली और जनसभा में मौजूदगी का न होना कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे रही है।

उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में बसपा के प्रमुख राजनीतिकारों में शामिल रहने वाले सतीश चंद्र मिश्रा बीते कुछ दिनों से सियासत की सुर्खियों में हैं। हालांकि सुर्खियों में रहने की कोई खास वजह नहीं है। लेकिन जिस तरीके से वह बसपा के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल होने के बाद भी अभी तक उतनी सक्रियता के साथ मैदान में नहीं उतर सके हैं, जितने कि बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उतरते थे। सियासी गलियारों में चर्चाएं इस बात की भी हो रही हैं कि मायावती के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने वाले सतीश मिश्रा की जगह इस बार मायावती के भतीजे और उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद ने ले ली है। स्टार प्रचारकों की सूची में कभी मायावती के बाद दूसरे नंबर पर आने वाले सतीश मिश्रा आकाश आनंद के चलते तीसरे नंबर पर खिसक गए हैं। 

राजनीतिक जानकार डॉ. डीपी शुक्ला कहते हैं कि आकाश आनंद की इस वक्त जितनी जनसभाएं और रैलियां की उत्तर प्रदेश के पहले चरण के चुनाव में हो रही हैं, उतनी प्रमुख रैलियों में कभी पिछले चुनाव में बसपा के चाणक्य और प्रमुख राजनीतिकार सतीश चंद्र मिश्रा भी हुआ करते थे। शुक्ल कहते हैं कि क्योंकि पहले चरण के चुनाव में अब महज कुछ दिन ही बाकी हैं। लेकिन बड़े स्तर पर सतीश चंद्र मिश्रा की रैलियां और जनसभाएं फिलहाल नहीं देखने को मिल रही हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दरअसल सतीश चंद्र मिश्रा मायावती के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सभी बड़ी चुनावी रैली और जनसभा में मौजूद रहते थे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में होने वाली चुनावी रैलियां में भी सतीश मिश्रा मायावती के साथ मौजूद रहते थे। क्योंकि मायावती ने खुद अभी उत्तर प्रदेश में चुनावी रैलियां की शुरुआत नहीं की है। इसलिए माना जा सकता है कि सतीश मिश्रा की भी रैलियां अभी सियासी तौर पर नहीं शुरू हुई हैं।