रिपोर्ट: अरुण यादव

आज़मगढ़। मां शारदा महाविद्यालय शंभूपुर गहजी में दुर्वासा महामंडलेश्वर रामलाल दास मौनी बाबा की आठवीं पुण्यतिथि पर शुक्रवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव व विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने राम मंदिर को भारत की संपूर्ण संस्कृति बताया।

मुख्य अतिथि चंपत राय ने कहा कि आज हम ऐसे संत रामलाल दास मौनी बाबा की पुण्यतिथि में हैं। इनके त्याग, तपस्या के चर्चे हैं, उन्हें प्रणाम करता हूं। ऐसे ही संतों से देश सुरक्षित है, मंदिर आंदोलन भी ऐसे संतों की देन है। लंबी लड़ाई के बाद भारत की संपूर्ण संस्कृति की धरोहर को देखना है तो अयोध्या राम राम मंदिर का दर्शन करना। जो हमारे संपूर्ण अपमानों के परिमार्जन के रूप में मंदिर बना है।

 

मंदिर भले ही पत्थरों का है लेकिन वहां संपूर्ण भारतीय संस्कृति के दर्शन एक साल बाद होंगे। प्रभू राम को गंगा पार करने वाले निषाद राज, श्रीराम भक्त शबरी, ऋषि पत्नी अहिल्या, रावण से सीता को बचाने को अपने जीवन को दांव पर लगाने वाले जटायु, राक्षसों को नियंत्रित करने की अलौकिक शिक्षा देने वाले गुरु विश्वामित्र, महर्षि वाल्मीकि, श्रीराम को युद्ध के प्रस्थान के समय विजय मंत्र देने वाले ऋषि अगस्त्य, राम को घर घर पहुंचाने वाले तुलसी सभी की मूर्ति यहां लगी है। 

बताया राम मंदिर का इतिहास
1950 में पहला मुकदमा हुआ जैसे जैसे समाज जे जागृति आई 70 सालों की लड़ाई में सब बदल गया। 2010 में हाईकोर्ट का पहला निर्णय आया साल दर साल बीतता रहा। 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर 25 हजार दस्तावेज जो उर्दू,फारसी, संस्कृत, फ्रेंच में थे। हाईकोर्ट में तो सब चली लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मात्र अंग्रेजी भाषा चली। उन 25 हजार दस्तावेज का रूपांतरण योगी सरकार कराने को तैयार हुई। 15 साल की कठिन लड़ाई चली 13 बार बेंच परिवर्तन हुए। 

साढ़े चार घंटे हर रोज सुनवाई हुई। जिन वकीलों को इस मुकदमे से जोड़ा वह स्वयं राम की प्रेरणा से जोड़ा। वकीलों ने सत्य को परखा जाना। जिसने कागजों काे जाना वह सत्य को समझें। हमने सुना था कि बड़े बड़े वकील एक तारीख का 25 लाख लेते हैं लेकिन राम के लिए इन वकीलों ने भगवान के लिए उल्टे हमें ही चाय का पैसा दे देते थे। यह प्रभु की स्वीकारोक्ति थी। 

वर्तमान मुख्यमंत्री के गुरु अवैद्यनाथ जब अयोध्या में आते थे विवादित ढांचे को देखकर कहते थे कि जब ढांचा देखता हूं तो लगता है कि मेरे पिता की हत्या कर शव को ढांचे के रूप में टांग दिया है। आज संतों की कृपा से हमारा प्रतीक हमारा गौरव वापस हुआ है। 

स्कूल के प्रबंधक फौजदार सिंह, प्राचार्य डॉ दिवाकर सिंह, डायरेक्टर संजय सिंह ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र व मौनी बाबा का चित्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर नारायन दास, बमबम दास, सत्य व्रत ब्र्रह्मचारी, गोरक्षनाथ पीठ महाविद्यालय के प्राचार्य भगवान सिंह, वैदेही बल्लभ दास, महंथ शंकर सुमन बड़ादेव, दैवैज्ञ मुन्ना बाबा आदि उपस्थित रहे।