लखनऊ। आठवें वेतन आयोग का गठन किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले से उत्तर प्रदेश के 26 लाख राज्य कर्मचारियों व पेंशनर्स की उम्मीदें बढ़ गई हैं। जिस तरह केंद्र सरकार ने इसके गठन में तेजी दिखाई है, उससे पूरी संभावना है कि आयोग की सिफारिशें लागू करने में भी तेजी दिखाई जाएगी। राज्य में रह रहे केंद्र सरकार के अधीन मंत्रालयों के करीब छह लाख कर्मचारियों व पेंशनर्स ने इस निर्णय पर खुशी जताई है।

प्रदेश में रेलवे के लगभग दो लाख कर्मचारी व साढ़े तीन लाख पेंशनर्स हैं। बाकी डेढ़ लाख डाक व आयकर सहित अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के कर्मचारी और पेंशनर्स यहां हैं। 

रिपोर्ट आते ही सिफारिशें भी लागू

इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज एसोसिएशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्रा कहते हैं कि इप्सेफ लगातार इसके गठन की मांग कर रहा था। 

वर्ष 2016 में सातवां वेतन आयोग लागू किया गया था। अब आठवें वेतन आयोग की रिपोर्ट सरकार ने वर्ष 2026 तक मांगी है। ऐसे में रिपोर्ट आते ही सिफारिशें भी लागू करने में देरी नहीं होगी।

डबल इंजन सरकार का लाभ मिलेगा

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी कहते हैं कि राज्य के 14 लाख सरकारी कर्मचारी व 12 लाख पेंशनर्स को डबल इंजन सरकार का लाभ मिलेगा। क्योंकि केंद्र व राज्य दोनों में एनडीए सरकार है ऐसे में सिफारिशें जल्द से जल्द लागू हो जाएंगी। 

सातवें वेतन आयोग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन सात हजार रुपये से बढ़ाकर 18 हजार रुपये कर दिया गया था। ऐसे में इस बार इसके 34 हजार रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।

योजनाओं को लागू करने में यूपी सबसे आगे

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी कहते हैं कि केंद्र की योजनाओं को लागू करने में यूपी सबसे आगे रहता है। ऐसे में आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें भी केंद्र के लागू करने के बाद छह महीने में यहां भी लागू की जा सकती हैं। जवाहर भवन-इंदिरा भवन कर्मचारी एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश पांडेय व उप्र लेखा एवं लेखा परीक्षा परिसंघ के अध्यक्ष सुशील कुमार बच्चा ने भी आठवें वेतन आयोग के गठन पर खुशी जताई है।