आजमगढ़। कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ0 संतोष सिंह सोमवार को भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा प्रदेश कार्यालय में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। बता दें कि डॉ. संतोष सिंह की गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओं में होती थी। वर्ष 1984 में संतोष सिंह आजमगढ़ संसदीय सीट से सांसद चुने गए थे। उस समय उनकी गिनती सबसे युवा सांसदों में होती थी। सांसद चुने जाने के पांच महीने बाद ही अप्रैल 1985 में संतोष को युवा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। वर्ष 1990 तक वे अध्यक्ष रहे। इस दौरा पार्टी ने 1989 में उन्हें लोकसभा चुनाव भी लड़ाया लेकिन उन्हें बसपा के राम कृष्ण यादव से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्हें दो बार कांग्रेस का प्रदेश महामंत्री और इतनी ही बार प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया।

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने आजमगढ़ संसदीय सीट से फिर उन्हें उम्मीदवार बनाया लेकिन तब तक कांग्रेस अपना जनाधार पूरी तरह खो चुकी थी। संतोष सिंह को चुनाव में मात्र 29 हजार मत मिला और उनकी जमानत भी नहीं बची। इसके बाद पार्टी ने फिर उन्हें टिकट नहीं दिया। संतोष सिंह की ताकत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि जिला कार्यकारिणी के गठन में उनका सीधा हस्तक्षेप होता था। अपने कई करीबियों को वे अध्यक्ष बनवाने व विधानसभा में टिकट दिलाने में सफल हुए। कांग्रेस हमेशा से दो गुटों के नाम से जानी जाती थी। एक गुट पूर्व सीएम राम नरेश यादव का होता था तो दूसरा डॉ. संतोष सिंह का।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा कांग्रेस गठबंधन के बाद जब आजमगढ़ में एक भी सीट कांग्रेस को नहीं मिली तब संतोष ने नाराजगी जाहिर की थी। यहीं नहीं जब वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफ प्रत्याशी न उतारने की घोषणा की तो संतोष सिंह मुखर हो गए और प्रेसवार्ता कर पार्टी पर हमला बोला और सवाल किया कि कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ेगी तो करेगी क्या। आखिर नेतृत्व पार्टी को कहां ले जाना चाहता है। डॉ. संतोष का यह तेवर पार्टी को रास नहीं आया था।