प्रयागराज। ये आस्था का ज्वार है। महाकुंभ की दिव्यता और मोक्ष का सुगम पथ। प्रचंड धूप और गर्मी से तपती जमीन फिर भी संगम स्नान के लिए लालायित लोगों का तांता टूटने का नाम नहीं ले रहा है। नंगे पांव कई किलोमीटर की यात्रा, जुबां पर बस इतना ही ””अब कितनी दूर है संगम””।धर्म और अध्यात्म के सबसे बड़े महोत्सव ””महाकुंभ”” के आकर्षण में खिंचे चले आ रहे लाखों लोगों को न परेशानी दिख रही है न दूरी। पांव में चाहे छाले पड़ जाएं लेकिन लक्ष्य केवल एक है संगम स्नान।

सीएमपी महाविद्यालय से संगम मार्ग पर बढ़ रहे झांसी के बंगरा कस्बा निवासी रामजी द्विवेदी बच्चे को कंधे पर बैठाए और स्वयं नंगे पांव थे। सिविल लाइंस हनुमान मंदिर से श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच पैदल चल रहे थे। मां गंगा के प्रति श्रद्धा कूट-कूट कर भरी थी। जमीन गर्म लग रही होगी, कोई साधन कर लीजिए…. यह कहते ही रामजी हंसे और बोल पड़े, साधन तो हमारी गंगा मां ही हैं। चल रहे हैं पैदल जहां तक गंगा मइया चाहेंगी, नहीं तो मांग लेंगे किसी से सहायता। बताया कि स्नान पर्वों पर नहीं आ सके थे, अब तो डुबकी लगाकर ही जाएंगे। मेला क्षेत्र में अब लगातार भीड़ बढ़ रही है।