लखनऊ। पिछले कुछ चुनाव में राजनीतिक गलियारों में मायावती के ऊपर भारतीय जनता पार्टी के बी टीम होने का टैग लग रहा था, पर इस बार जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी ने चुन चुन के प्रत्याशी उतारे हैं वह प्रत्याशी कुछ जगहों पर इंडिया गठबंधन के लिए मुश्किल तो हैं ही तो वहीं कुछ जगहों पर वह एनडीए के प्रत्याशियों को भी परेशान कर सकते हैं। बहुजन समाज पार्टी में इस बार अपनी एक बार फिर से सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति को तैयार कर विरोधी दलों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक अपने प्रत्याशियों में बड़ी संख्या में ब्राह्मण, मुस्लिम और क्षत्रिय उम्मीदवारों को उतार कर 2007 जैसी सोशल इंजीनियरिंग पर मजबूत दांव लगाया है। बहुजन समाज पार्टी की यह राजनीति कुछ सीटों पर इंडिया गठबंधन के साथ-साथ कुछ सीटों पर एनडीए के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है।
बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक अपने जारी के 36 प्रत्याशियों की सूची में 11 सवर्ण प्रत्याशी उतारे हैं, इसमें से चार ब्राह्मणों को बहुजन समाज पार्टी ने टिकट दिया है। बसपा के सूत्रों की माने तो बहुजन समाज पार्टी की मुखिया को ऐसा लगता है कि बसपा के कैडर वोट बैंक के साथ-साथ अगर ब्राह्मण व क्षत्रिय उम्मीदवारों के सहारे उनका वोट एकजुट हो जाए तो कुछ भी हो सकता है। बहुजन समाज पार्टी ने उन्नाव में अशोक पांडेय को उम्मीदवार बनाया है जहां दलित 24 फ़ीसदी और ब्राह्मण 11 फीसदी माने जाते हैं, ऐसे में अगर बसपा की रणनीति कामयाब हुई तो भाजपा को नुकसान हो सकता है। ऐसे ही अलीगढ़ में बसपा ने हितेंद्र कुमार उर्फ बंटी उपाध्याय को टिकट दिया है जहां ब्राह्मण 15 फीसदी की और दलित 20 फीसदी के आसपास माने जाते हैं।

ऐसे में अगर दलित – ब्राह्मण समीकरण प्रभावी रहा तो भी भाजपा के लिए दिक्कत खड़ी हो सकती है। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने मिर्जापुर से मनीष त्रिपाठी को टिकट दिया है जहां दलित 22 फ़ीसदी और ब्राह्मण 8 फीसदी हैं। ऐसे ही अकबरपुर में राजेश कुमार द्विवेदी को टिकट दिया है जहां 24 फीसदी दलित और ब्राह्मण 10 फीसदी माने जाते हैं। इन आंकड़ों से भाजपा के प्रत्याशियों के मेहनत बढ़ गई है। बसपा ने सहारनपुर में कांग्रेस के इमरान मसूद के सामने माजिद अली को खड़ा किया है, रामपुर में सपा के मोहिबुल्लाह नदवी के सामने जीशान खान को खड़ा किया है, संभल में जियाउर रहमान बर्क के सामने सौलत अली को खड़ा किया है। इन प्रत्याशियों से बसपा ने इंडिया एलायंस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।