गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करना आज समय की सबसे बड़ी जरूरत है। इस दिशा में सरकार कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दे रही है। सरकार का लक्ष्य 22 हजार मेगावाट ऐसी ऊर्जा के उत्पादन पर है।

इसी क्रम में अयोध्या को पहली सोलर सिटी के रूप में विकसित किया गया है, जहां छह हजार मेगावाट सोलर एनर्जी की व्यवस्था हुई है। इसी तर्ज पर प्रदेश के सभी नगर निगमों को सोलर सिटी बनाएगी। साथ ही बुंदेलखंड में पांच हजार मेगावाट के ग्रीन कारिडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है।

सीएम योगी गुरुवार को नगर निगम की तरफ से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम-एनसीएपी) के तहत होटल कोर्टयार्ड बाय मैरिएट में ‘2027 तक गोरखपुर को खुले में कचरा जलाने से मुक्त शहर बनाने का रोडमैप’ थीम पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम स्तर पर लाना होगा। प्रौद्योगिकी और जन जागरूकता के समन्वय से ही इस दिशा में अच्छे परिणाम आएंगे। इसी उद्देश्य को हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य तय किया है।

इसके लिए राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इन कार्यक्रमों में जन प्रतिनिधियों के जरिये जन सहभागिता भी होनी चाहिए, क्योंकि कोई भी आंदोलन जन सहभागिता के बिना सफल नहीं हो सकता।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के एक उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति सबकी आवश्यकता की पूर्ति कर सकती है पर किसी के लोभ को पूरा करने का सामर्थ्य उसमें नहीं है। प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा सबने कोविड काल में देखा है।कोविड की दूसरी लहर में लोग ऐसे ही तड़प रहे थे जैसे जल से निकली मछली तड़पती है। उन्होंने कहा की मानवजनित विकृतियों का दुष्परिणाम मानव को खुद ही भुगतना होगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें कई स्तरों पर काम करना होगा। जनभागीदारी से यह संभव हो सकेगा।