
मुरादाबाद। खुद को भगवान कल्कि का अवतार बताकर चूहों की बलि देने वाले ट्रेनी आईपीएस अधिकारी के मामले का डीजीपी प्रशांत कुमार ने संज्ञान लिया है। उन्होंने बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य को पूरे मामले की जांच सौंपी है। मामला सुर्खियों में आने के बाद शनिवार सुबह शासन से रिपोर्ट तलब कर ली गई।
आनन-फानन में प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार कर भेज दी गई। जिसमें ट्रेनी आईपीएस के साथ रहे पुलिसकर्मियों से मिली जानकारी को भी शामिल किया गया है।
चार्ज संभालने के बाद गाली-गलौच करने लगा था आईपीएस
उच्चाधिकारियों को बताया गया है कि एक माह पहले सर्किल का चार्ज संभालने के कुछ दिन बाद ही ट्रेनी आईपीएस गाली-गलौच करने लगे थे। हाथ छोड़ने पर भी आमदा हो जाते थे। रिपोर्ट के बाद डीजीपी ने जांच का आदेश दिया है।
खुद को भगवान कल्कि का अवतार बताकर ट्रेनी आईपीएस ने 23 जनवरी को चूहों को मारकर सिपाही पर हवन करने का दबाव बनाया। सिपाही ने इन्कार किया तो उसकी हालत भी चूहों जैसी करने की धमकी दी। ट्रेनी आईपीएस ने अपने अधिकारियों से अभद्रता की। पुलिस लाइन में गणतंत्र दिवस की परेड के लिए तैयार ट्रैक पर गाड़ी दौड़ा दी और अर्धनग्न होकर लेट गए। अगले दिन 24 जनवरी को एसपी ट्रैफिक कार्यालय में तोड़फोड़ की। रोकने आए सिपाहियों की पिटाई और महिला अधिकारी से भी अभद्रता करने की बात सामने आई है।
एसएसपी ने 10 दिन की छुट्टी पर भेजा
27 जनवरी तक इस तरह की हरकतें सामने आने के बाद उच्चाधिकारियो ने एक अधिकारी को उनकी निगरानी में लगाया। एक अधिकारी के मुताबिक रिपोर्ट भेजकर पूरे घटनाक्रम से शासन को अवगत कराया गया है। इस बीच एसएसपी सतपाल अंतिल ने ट्रेनी आईपीएस का स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देकर 10 दिन की छुट्टी पर होने की बात ही दोहराई है।
सख्त तेवर के लिए चर्चित हैं एसएसपी बरेली
अनुराग आर्य सख्त तेवर के लिए जाने जाते हैं। पुलिस में अनुशासन का मतलब क्या होता है? वह बखूबी समझाते हैं। दो उदाहरणों से इसकाे समझा जा सकता है। बरेली में चार्ज संभालने के बाद उनके समक्ष मीरगंज सर्किल की तत्कालीन सीओ डा. दीपशिखा अहिबरन सिंह का मामला पहुंचा। बरेली में ट्रेनी के बाद ही सर्किल की जिम्मेदारी पाने वाली सीओ पर भट्ठा मालिक से दो लाख रुपये रंगदारी मांगने का आरोप था।
बरेली के वर्तमान एसपी सिटी मानुष पारीक से उन्होंने जांच कराई। जांच रिपोर्ट में भूमिका खराब मिलते ही उन्होंने सीओ से सर्किल का चार्ज छीन लिया। इसके बाद शासन स्तर से सीओ पर कार्रवाई हुई और उन्हें गैर जनपद भेज दिया गया। इसके बाद फरीदपुर के तत्कालीन इंस्पेक्टर रामसेवक की गंभीर शिकायत पर थाने में ही दबिश डलवा दी।इंस्पेक्टर के कमरे से लाखों रुपये बरामद हुए। तस्कर को छोड़ने के एवज में इंस्पेक्टर द्वारा वसूली गई रकम जब्त की गई। भ्रष्टाचार का मुकदमा लिखा गया। उन्हें कोई राहत ना मिली। ऐसे में गंभीर आरोपों में घिरे ट्रेनी आइपीएस अफसर की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।