आजमगढ़। विधान परिषद सदस्य, सपा नेता शाह आलम उर्फ़ गुड्डू जमाली ने मंगलवार को सदन में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा की बदहाली पर चर्चा करते सरकार से स्वास्थ्य सेवा सम्बन्धी सुविधाओं को और अधिक सुधार करने पर बल देते हुए कि जहाँ उन्होंने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के खस्ताहाल पर सरकार को घेरा वही आजमगढ़ के मंडलीय चिकित्सालय में डॉक्टरों की कमी व अन्य सुविधाओं के न मिलने का मुद्दा उठाया। वही  दरियादिली दिखाते हुए एमएलसी ने सदन में कहा कि अगर सरकार चाहे तो अस्पताल के लिए आज़मगढ़ जिले में 10 एकड़ भूमि वे दान में देने के लिए तैयार है।

सदन में बोलते हुए एमएलसी शाह आलम ने कहा कि स्वास्थ्य किसी प्रदेश या देश की मूलभूत सुविधाओं में से एक है। जिस तरह कोई मनुष्य स्वस्थ्य न हो उसे कोई बीमारी लग जाय तो उसकी जिन्दगी पीड़ादायक हो जाती है उसी तरह अगर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर हो, लचर हो पूरे प्रदेश के नागरिकों की जिन्दगी पीड़ादायक हो जाती है। उक्त बातें समाजवादी पार्टी के एमएलसी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने आज सदन में स्वास्थ्य मुद्दों पर चर्चा करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि जो पिछली बार स्वास्थ्य पर बजट का प्राविधान था वह लगभग 43 हजार पांच सौ करोड़ रूपये थ और इस बार बढ़ाकर 50 हजार 500 करोड़ कर दिया गया है लेकिन इस बजट का क्या फायदा, पूर्व में दिया गया बजट भी ठीक था लेकिन खर्च सिर्फ 68 प्रतिशत हुआ, यह एक विचारणीय प्रश्न है जिसका यह सदन खुद आकलन कर सकता है कि स्वास्थ्य जैसी गंभीर मामले जो इंसान कही आवश्यक जरूरतों में आता है लेकिन स्वास्थ्य विभाग उस बजट का पूरा पैसा नहीं खर्च पा रहा है, स्वास्थ्य को लेकर हम कितने गंभीर इससे साफ जाहिर हो रहा है, तो हम कुछ भी तैयारी करते हैं और उसका ढिंढोरा पीटते रहे, उसका कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने सदन में एक बड़ी बात कहते हुए बताया कि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार हमारा प्रदेश स्वास्थ्य के मामले में सबसे नीचले पायदान पर है लोहिया, केजीएमसी, एपीजीआई जैसे कई हमारे प्रदेश महत्वपूर्ण स्वास्थ्य केन्द्र वहां की भी हालत कुछ ऐसी ही है वहां पर तैनात डाक्टरों की क्षमता पर कोई सवाल नहीं है वे बेहतर से बेहतर हैं ।लेकिन हमारे प्रदेश की आबादी के हिसाब से हमारे पास संसाधन उपलब्ध नहीं है, नतीजा यह हो रहा है कि गंभीर बीमारियों जैसे कैसर, लीवर, किडनी आदि के मरीज मजबूर होकर प्राइवेट अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैं जहां पर उनके धन का भी शोषण होता है और धन की कमी के कारण समय से इलाज न होने पाने से उनकी मृत्यु हो जाती है।
उन्होंने सदन के माध्यम से बड़ी बात कहा कि हम लोगों की निधि जो मिलती है उसमें एक नियम लगा दिया गया है कि हम लोग बीमारी में पांच लाख से अधिक और पूरे साल में पचीस लाख से अधिक नहीं दे सकते हैं। उन्होंने एक घटनाक्रम से सदन को अवगत कराते हुए कहा कि मेरे पास एक मजदूर अपने बच्चे की गंभीर बीमारी का इस्टीमेट लेकर आया जो एम्स से बनवाकर लाया था जिसका पूरा खर्च करीब 15 लाख था लेकिन सरकार द्वारा निर्धारित किये जाने से हम उसे एक बार पांच लाख से ज्यादा नहीं दे पाते। हमारी सदन से मांग यह है कि एक प्रस्ताव भेजा जाय जिसमें ऐसी बीमारियों के पूरे इलाज के लिए हमारी निधि से कटौती कर इन जरूरतों को राशि निर्गत किये जाने का काम हो सके। उन्होंने कहा कि अखिलेश सरकार में गंभीर बीमारियों पर 60 से 70 प्रतिशत दवाओंं के मूल्य में कमी कर दी गई थी।लेकिन अब भारी मात्रा में वृद्ध कर दी गई है।


मण्डलीय जिला अस्पताल आजमगढ़ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एमआरआई मशीन नहीं है सिटी मशीन तीन महीने से खराब पड़ी है तीन रेडियोलाजिस्ट की जरूरत है सिर्फ एक है, न्यूरोलाजिस्ट नहीं है, गैस्ट्रोलाजी के डाक्टर नहीं है प्लास्टिक सर्जन नहीं है डायलासिस के छ: महीने की वेटिंग है, इतने बड़ी हास्पिटल में दवा देने के लिए सिर्फ एक काउंटर है और दवाएं भी हाथ में पकड़ा दिया जाता है। मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए जिले में पीजीआई अस्पताल बनवाया, लेकिन दुर्भाग्य है कि हमारा स्वास्थ्य विभाग उस हास्पिटल को भी विधिवत तरीके से संचालित नहीं कर पा रहा है, अखिलेश सरकार में भी तीन हास्पिटल 100 बेड के जनपद आजमगढ़ में दिये गये जो कुप्रबन्ध का शिकार है। आयुस्मान कार्ड में तमाम ऐसी गंभीर बीमारियां जिसके इलाज का प्राविधान ही नहीं है।
उन्होंने सदन के माध्यम से मांग किया कि सरकार नई चीजे जितनी चाहे उतनी बनाये लेकिन जो पुरानी चीजे उसे सही तरीके से संचालित करे। उन्होेंने कहा आजमगढ में दस एकड़ जमीन है अगर सरकार कहे तो स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए मैं उसे फ्री में डोनेट कर दूंगा, जो हमसे होगा हम चंदा भी करते रहेंगे, अगर हमारा स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना ठीक हो तो हम जितनी तेजी से विकास करेंगे उसकी कल्पना नहीं की जा सकती।