रिपोर्ट: अरुण यादव


आजमगढ़। पुलिस ने “ऑपरेशन मुस्कान” अभियान के तहत एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए करीब दो साल पहले लापता हुई एक महिला को उसके परिजनों से मिला दिया। यह महिला अपनी याददाश्त खो देने के कारण घर से भटक गई थी और राजस्थान के अलवर पहुंच गई थी। आजमगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना के निर्देश पर चलाए गए इस अभियान में रौनापार थाना पुलिस ने अथक प्रयास कर महिला की बरामदगी सुनिश्चित की।

लापता महिला का नाम दुर्वासा देवी (40) पुत्री नंदा है, जो रौनापार थाना क्षेत्र के अभ्भनपट्टी गांव की निवासी हैं। उनकी शादी कन्धरापुर थाना क्षेत्र के हरिपुर गांव निवासी रामनरेश से हुई थी। रामनरेश वर्तमान में पुणे में काम करते हैं। दुर्वासा के तीन बेटियां और एक बेटा है। करीब दो साल पहले याददाश्त खो जाने के कारण वह घर से निकल गई थीं और परिवार वालों को उनकी कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी। परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को भी नहीं दी थी।

इस तरह हुई बरामदगी
25 मार्च 2025 को अलवर (राजस्थान) स्थित “अपना घर आश्रम महिला शाखा” की वार्डन सुशीला शर्मा ने आजमगढ़ के अपर पुलिस अधीक्षक (नगर)  शैलेन्द्र लाल से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि एक 40 वर्षीय महिला, जो दो साल पहले आश्रम में आई थी, अब अपनी याददाश्त धीरे-धीरे वापस पा रही है। महिला ने अपना नाम दुर्वासा बताया और अपना घर आजमगढ़ के देवारा क्षेत्र में होने की जानकारी दी। उसने अपने मायके और ससुराल (भंवरनाथ मंदिर के पास) का भी जिक्र किया। हालांकि, उसकी याददाश्त अभी भी कमजोर थी और वह अपनी बात स्पष्ट रूप से नहीं समझा पा रही थी।


अपर पुलिस अधीक्षक  शैलेन्द्र लाल ने महिला से फोन पर बात की और उसकी दी गई जानकारी के आधार पर यह पुष्टि की कि वह आजमगढ़ की रहने वाली है, संभवतः बाढ़ग्रस्त देवारा क्षेत्र से। इसके बाद उन्होंने थानाध्यक्ष रौनापार को महिला की फोटो और उपलब्ध जानकारी के साथ तलाश शुरू करने का निर्देश दिया।पुलिस का अभियान और सफलतादेवारा क्षेत्र, जिसमें रौनापार और महराजगंज थाना क्षेत्र के सैकड़ों गांव शामिल हैं, में पुलिस ने व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया। रौनापार थाने की 10 टीमें गठित की गईं, जिन्होंने क्षेत्र के हर गांव, मजरे और मोहल्ले में जाकर महिला की फोटो की तस्दीक की।

जांच के दौरान पता चला कि यह महिला श्रीमती दुर्वासा देवी है, जो अभ्भनपट्टी गांव की निवासी है।पुलिस टीम, जिसमें उपनिरीक्षक सिद्धेश्वर सिंह और महिला कांस्टेबल प्रज्ञा यादव शामिल थे, अलवर (राजस्थान) पहुंची। वहां विधिक कार्यवाही पूरी कर 29 मार्च 2025 को दुर्वासा को आजमगढ़ लाया गया और उनके परिजनों को सौंप दिया गया। परिवार और दुर्वासा के चेहरों पर खुशी की लहर देखने को मिली।

इस तरह महिला पहुंची थी अलवर

दुर्वासा के पति रामनरेश ने बताया कि याददाश्त खो जाने के कारण उनकी पत्नी ट्रेन से अलवर पहुंच गई थीं। वहां स्थानीय पुलिस ने उन्हें “अपना घर आश्रम महिला शाखा” में भर्ती कराया था, जहां दो साल तक उनका इलाज चला। याददाश्त वापस आने पर उन्होंने अपने घर की जानकारी दी, जिसके बाद यह सफल बरामदगी संभव हो पाई।आजमगढ़ पुलिस की सराहना”अपना घर आश्रम” की वार्डन सुशीला शर्मा ने आजमगढ़ पुलिस की त्वरित कार्यवाही और संवेदनशीलता की जमकर प्रशंसा की। आजमगढ़ पुलिस के इस प्रयास ने एक बार फिर “ऑपरेशन मुस्कान” की सार्थकता को सिद्ध किया है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक  हेमराज मीना ने कहा, “हमारा उद्देश्य हर गुमशुदा को उनके परिवार से मिलाना है। इस सफलता से पुलिस टीम का मनोबल और बढ़ा है।”