
रिपोर्ट: अरुण यादव
आज़मगढ़। पांच माह बाद गैंगरेप पीड़िता आखिर कार जिंदगी जंग हार गई…। शहर के एक निजी अस्पताल में पीड़िता ने सोमवार की रात अंतिम सांस ली। पीड़िता पांच माह की गर्भवती भी थी। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं, पुलिस पीड़ित पक्ष की तहरीर पर इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर उनकी तलाश में जुटी है।
अहरौला थाना क्षेत्र की रहने वाली एक मंदबुद्धि महिला का 20 वर्ष का एक बेटा है। 10 वर्ष पूर्व उसके पति की मृत्यु हो गई थी। किसी तरह परिवार के लोग भरण-पोषण करते थे। पांच माह पूर्व चार से छह लोगों ने मिलकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। इसके चलते वह गर्भवती हो गई। जब महिला की हालत खराब होने लगी तो परिजनों को इसकी जानकारी हुई। इसके बाद परिजन थाने में पहुंचकर पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस ने इस मामले में मुकदमा पंजीकृत करने के लिए मेडिकल परीक्षण के लिए उसे जिला अस्पताल भेजा तो जांच में सामने आया कि वह पांच माह की गर्भवती है और उसके शरीर में खून बचा ही नहीं है। पुलिस ने इस मामले में 13 दिसंबर को सन्नी, अनूप, रामभुवन, राम अशीष, उर्मिला के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया। वहीं, चिकित्सक ने परिजनों से खून की व्यवस्था करने के लिए कहा तो परिजन खून की व्यवस्था में जुट गए। काफी प्रयास के बाद भी खून नहीं मिला तो अहरौला थानाध्यक्ष मनीष पाल को इसकी जानकारी दी। थानाध्यक्ष ने तत्काल तीन सिपाहियों को भेजकर ब्लड देने के लिए कहा। बाद चिकित्सकों ने उसके स्वजनों से खून की व्यवस्था करने को कहा। जब खून उपलब्ध नहीं हो सका तो स्वजनों ने इसकी जानकारी थानाध्यक्ष अहरौला मनीष पाल को दिया। मौके पर तीन सिपाहियों ने पहुंचकर ब्लड दिया। हालत बिगड़ने पर पीड़िता को चिकित्सक ने हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया। पुलिस की मदद से परिजनों ने शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराते हुए उसका उपचार शुरु कराया जहां सोमवार की रात उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। मृतका के मायके वाले अस्पताल पहुंचे और शव को कप्तानगंज थाने में स्थित मायके लेकर चलें आए। सूचना मिलते ही सीओ बूढ़नपुर किरण पाल सिंह व अहरौला थाने के उपनिरीक्षक श्यामप्रीत दूबे, विश्राम गुप्ता व विजय कुमार पहुंचे और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। कुछ लोगों का कहना था कि पुलिस ने कार्रवाई करने में बहुत देरी की है।